Eye Collection Center: गांधी शताब्दी अस्पताल में बनेगा 'आई क्लेक्शन सेंटर', मिलेंगी ये सुविधाएं

Eye Collection Center आमजन को नेत्र बैंक से संबंधित सुविधा मिलने लगेगी। राष्ट्रीय दृष्टिविहिनता कार्यक्रम के तहत दून स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय को नेत्र संकलन केंद्र (आई कलेक्शन सेंटर) के रूप में संचालित किए जाने की मान्यता मिल गई है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 08:09 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 09:39 PM (IST)
Eye Collection Center: गांधी शताब्दी अस्पताल में बनेगा 'आई क्लेक्शन सेंटर', मिलेंगी ये सुविधाएं
Eye Collection Center: गांधी शताब्दी अस्पताल में बनेगा 'आई क्लेक्शन सेंटर'।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Eye Collection Center उत्तराखंड में अब आमजन को नेत्र बैंक से संबंधित सुविधा मिलने लगेगी। राष्ट्रीय दृष्टिविहिनता कार्यक्रम के तहत दून स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय को नेत्र संकलन केंद्र (आई कलेक्शन सेंटर) के रूप में संचालित किए जाने की मान्यता मिल गई है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डा. सरोज नैथानी ने बताया कि शासन की ओर से गठित समिति के कार्निया तकनीकी विशेषज्ञ की ओर से इस आशय की अनुमति प्राप्त हो चुकी है। दून स्थित गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय को आई क्लेक्शन सेंटर के रूप में संचालित करने के लिए आवश्यक संसाधन व सुविधा उपलब्ध कराते हुए कार्य शुरू किया जा रहा है।  उन्होंने बताया कि आई क्लेक्शन सेंटर के लिए मान्यता मिलना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इसके आरंभ होने से देहरादून के समीपवर्ती क्षेत्रों विशेषकर गढ़वाल मंडल के लोग को नेत्र प्रत्यारोपण और नेत्रदान करने में लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि गांधी शताब्दी अस्पताल केवल आई क्लेक्शन सेंटर के रूप में कार्य करेगा, जबकि संकलित आई-बाल को एम्स ऋषिकेश या हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के नेत्र बैंक में निर्धारित समयावधि के लिए रखा जाएगा। आई क्लेक्शन सेंटर को आगामी एक नवंबर तक संचालित किए जाने के संर्दभ में स्वास्थ्य महानिदेशक ने जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को निर्देशित किया है।

बता दें कि प्रदेश में अंधता ग्रसित आबादी करीब 40 हजार है, जिसमें सबसे अधिक लोग मोतियाबिंद के शिकार हो रहे हैं। जबकि कोॢनया से संबंधित अंधता का प्रतिशत 0.9 प्रतिशत है। राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गग आई क्लेक्शन सेंटर की पहली स्वीकृति गांधी नेत्र चिकित्सालय को मिली है, जबकि राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में नेत्र बैंक संचालित किए जाने का कार्य प्रगति पर है। बताया कि भारत में प्रति वर्ष 3 से 4 लाख व्यक्तियों का कार्निया प्रत्यारोपण की जरूर होती है, जबकि 50 हजार व्यक्तियों का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। नेत्रदान के प्रति जागरूकता की कमी के कारण यथोचित नेत्रदान नहीं हो पाता। जिस कारण मरीजों की संख्या 20 से 30 हजार प्रति वर्ष बढ़ जाती है।

कार्निया प्रत्यारोपण क्या है

दान की हुई आंख से कार्निया को निकालकर खास किस्म के साल्यूशन में सुरक्षित रखकर आई बैंक ले जाते हैं। जहां कार्निया की टेस्टिंग कर उसकी गुणवत्ता का पता लगाकर कोरिसिनोल साल्यूशन में दो हफ्ते तक सुरक्षित रखा जा सकता है। प्रत्यारोपण के दौरान मरीज के खराब कार्निया को हटाकर स्वस्थ कार्निया लगाया जाता है।

कैसे करें नेत्रदान

नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए एक फार्म भरकर जमा कराना होता है। इसके बाद व्यक्ति को एक आइडी कार्ड मिलता है, जिसे उसके परिवार वाले मृत्यु के बाद दिखाकर नेत्रदान कर सकते हैं। मृत्यु के बाद छह घंटे के अंदर सूचना मिलने पर नेत्र-अस्पताल या आई-बैंक से चिकित्सकों की टीम उस व्यक्ति के घर जाकर कार्निया निकालती है।

कौन कर सकता है नेत्रदान

किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका कार्निया पूरी तरह से स्वस्थ हो वह नेत्रदान कर सकता है। वैसे 10-50 वर्ष के व्यक्ति की आंखें ज्यादा उपयोगी होती हैं। दुर्घटना, हार्ट अटैक, लकवा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा और मूत्र संबंधी रोग के कारण मौत होने पर आंखों का प्रयोग प्रत्यारोपण के लिए किया जा सकता है।

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कौन नहीं कर सकता

जिन लोग की मृत्यु वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन या एड्स की वजह से होती है उनकी आंखों के कार्निया का प्रयोग नेत्रदान के लिए नहीं किया जा सकता है।

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