उत्तराखंड: आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और भोजनमाताओं ने किया सचिवालय कूच, दी ये चेतावनी
सीटू से सम्बद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं और भोजनमाताओं ने सचिवालय कूच किया। हालांकि पुलिस ने सचिवालय से पहले बेरिकेड लगाकर रोक लिया। पुलिस और कार्यकर्त्ताओं के बीच काफी देर तक नोकझोंक हुई। इसके बाद कार्यकर्त्ता वहीं धरने पर बैठे।
जागरण संवाददाता, देहरादून। ट्रेड यूनियन के देशव्यापी आह्वान पर सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं, आशा व भोजनमाताओं ने लंबित मांगों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग को लेकर सचिवालय कूच किया। हालांकि, पुलिस ने सचिवालय से पहले बेरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक लिया। ऐसे में कार्यकर्त्ता वहीं धरने पर बैठ गए। चेतावनी दी कि जल्द मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो दोबारा सड़कों पर उतरेंगे।
सीटू से संबद्ध आंगनबाड़ी, आशा और भोजनमाताएं शुक्रवार को गांधी पार्क में एकत्रित हुईं। इसके बाद रैली के रूप में सचिवालय के लिए निकलीं। सचिवालय से पहले सुभाष रोड पर पुलिस ने बेरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने वहीं पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचीं सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान को पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर सीटू के जिला महामंत्री लेखराज, उपाध्यक्ष भगवंत पयाल, रविंद्र नौडियाल, रजनी गुलेरिया, सुनीता चौहान, कलावती चंदोला, मायादेवी आदि शामिल रहीं।
कार्यकर्त्ता, सहायिका को राज्य कर्मचारी घोषित करें
आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका कर्मचारी यूनियन की प्रांतीय महामंत्री चित्रकला ने कहा कि पूर्व में विभागीय मंत्री रेखा आर्य से वार्ता के दौरान उन्होंने मांग पर शीघ्र निस्तारण का भरोसा दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कहा कि उनकी दस सूत्री मांगों में आंगनबाड़ी, सहायिका को राज्य कर्मचारी घोषित करने, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता को 21 हजार और सहायिका को 18 हजार का मानदेय प्रतिमाह देने, आयुसीमा की बाध्यता समाप्त करने, महाराष्ट्र की तर्ज पर ग्रेच्युटी देने, आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी घोषित करने, बकाया राशि का भुगतान शामिल है।
भोजनमाताओं ने जताई नाराजगी
उत्तराखंड भोजनमाता कामगार यूनियन की प्रांतीय महामंत्री मोनिका ने कहा कि बीते 19 जुलाई को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने भोजनमाताओं का मानदेय पांच हजार रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन इस ओर अभी शासनादेश जारी नहीं हुआ। इसके अलावा भोजनमाताओं को 18 हजार रुपये न्यूनतम वेतन, मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण बंद करने, भोजनमाताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित करने, बाहर हुई भोजनमाताओं को वापस कार्य पर रखने, सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी व पेंशन देने, अविलंब भुगतान करने की मांग की।
आशाओं ने की शासनादेश की मांग
सरकारी सेवक का दर्जा देने, न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये, सेवानिवृत्ति पर पेंशन सुविधा समेत 12 सूत्री मांग पर आशाओं ने शीघ्र कार्रवाई की मांग उठाई। कहा कि बीते दो अगस्त से गढ़वाल मंडल में कार्य बहिष्कार जारी है, जबकि सभी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही सीएमओ कार्यालय पर धरना दिया जा रहा है। बताया कि बीते दिनों आंदोलन के दौरान स्वास्थ्य सचिव से वार्ता हुई, जिसमें कई बिंदुओं पर सहमति बनी, लेकिन शासनादेश जारी न होने से आशाओं में नाराजगी है।
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