इंटेलीजेंस से मिले इनपुट के बाद अलर्ट हुई उत्तराखंड सरकार, खुफिया रिपोर्ट में इन क्षेत्रों को लेकर जताई गई चिंता

Uttarakhand Minority Community विशेष में भूमि की खरीद-फरोख्त पर निगरानी रखने और जिलों में बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन का फैसला सरकार ने होमवर्क के बाद लिया है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट और अन्य माध्यमों से सरकार तक पहुंची शिकायतें इसका आधार बनी हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 07:20 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 11:05 AM (IST)
इंटेलीजेंस से मिले इनपुट के बाद अलर्ट हुई उत्तराखंड सरकार, खुफिया रिपोर्ट में इन क्षेत्रों को लेकर जताई गई चिंता
इंटेलीजेंस से मिले इनपुट के बाद अलर्ट हुई उत्तराखंड सरकार।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Minority Community उत्तराखंड में क्षेत्र विशेष में भूमि की खरीद-फरोख्त पर निगरानी रखने और जिलों में बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन का फैसला सरकार ने होमवर्क के बाद लिया है। खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट और अन्य माध्यमों से सरकार तक पहुंची शिकायतें इसका आधार बनी हैं। हाल में ही उत्तर प्रदेश में मतांतरण के मामले को लेकर जो बड़ा राजफाश हुआ है, उसे देखते हुए सरकार ने ज्यादा सतर्कता बरतनी शुरू की है। उत्तराखंड के कई जिलों की सीमाएं उप्र से सटी हुई हैं। यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्र में नजर आ रहे डेमोग्राफिक चेंज (जनसांख्यिकी बदलाव) समुदाय विशेष की बढ़ती आबादी के साथ ही रोहिंग्या और बांग्लादेशियों की घुसपैठ और कई इलाकों में इस वजह से हो रहे पलायन की शिकायतें भी इस फैसले की वजह बनी हैं।

राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश से लगे जिलों यानी देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व पौड़ी की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसमें भी समुदाय विशेष के व्यक्तियों के बसने और जमीन खरीदने के मामले तेजी से बढ़े हैं। परिणामस्वरूप इन बीस वर्षों में डेमोग्राफिक चेंज प्रत्यक्ष रूप से देखने में मिला है। इसके कारण कुछ क्षेत्रों से पलायन की सूचनाएं भी आई हैं।

सरकार को हाल ही में इंटेलीजेंस से जो इनपुट मिला हैं, उसमें बताया गया है कि अब मैदानी जिलों के साथ ही पहाड़ी जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी व अल्मोड़ा में समुदाय विशेष की बसावट तेजी से हो रही है। इनमें रोङ्क्षहग्या, बांग्लादेशी के भी शामिल होने की आशंका है। यही नहीं, बड़ी संख्या में नेपाली मूल के नागरिक भी अवैध रूप से रह रहे हैं। इन्होंने यहां वोटर कार्ड और पहचान पत्र भी बनवाए हुए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन के कारण पहले ही जनसंख्या कम है। इस पर इन क्षेत्रों में समुदाय विशेष की संख्या बढऩे के कारण अन्य लोग भी पलायन कर रहे हैं। कहा गया है कि यदि समय रहते इन पर रोक नहीं लगाई गई तो स्थिति विकट हो सकती है।

इन्हीं परिस्थतियों के आलोक में देवभूमि के स्वरूप और सांप्रदायिक सौहार्द को बरकरार रखने के लिए सरकार ने सभी जिलों में शांति समितियों के गठन का निर्णय लिया है। हालांकि, गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में अधिकृत तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन विभागीय सूत्र इस तरह के इनपुट सरकार तक पहुंचाए जाने की पुष्टि कर रहे हैं।

ये हैं प्रमुख चुनौती

-देवभूमि के स्वरूप को बरकरार रखना

-सीमांत क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

-प्रदेश में कानून-व्यवस्था बरकरार रखना

-प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि बहुत समय से इस तरह की चर्चा चल रही है कि तमाम तरह के लोग उत्तराखंड में बस गए हैं। यह जांच किसी को लक्ष्य बनाकर नहीं की जा रही है। इसमें सभी पहलुओं को शामिल किया जा रहा है।

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