उपभोक्ताओं को पानी के बिलों में राहत देगी उत्तराखंड सरकार, 2014 से चली आ रही व्यवस्था पर होगा पुनर्विचार
लंबे इंतजार के बाद अब प्रदेश सरकार को भी लगने लगा है कि पानी के बिलों में हर साल हो रही बढ़ोतरी के निर्धारण का पैमाना अव्यवहारिक है। इसे देखते हुए सरकार पेयजल उपभोक्ताओं को राहत देने की तैयारी कर रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। लंबे इंतजार के बाद अब प्रदेश सरकार को भी लगने लगा है कि पानी के बिलों में हर साल हो रही बढ़ोतरी के निर्धारण का पैमाना अव्यवहारिक है। इसे देखते हुए सरकार पेयजल उपभोक्ताओं को राहत देने की तैयारी कर रही है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल के अनुसार वर्ष 2014 से चली आ रही जल मूल्य निर्धारण की इस व्यवस्था पर पुनर्विविचार किया जाएगा। जल्द ही इस संबंध में अधिकारियों की बैठक बुलाई जाएगी।
सरकार ने वर्ष 2013 में जल मूल्य निर्धारण के लिए अधिसूचना जारी की थी। वर्ष 2014 से यह अमल में लाई जा रही है। इसके तहत बीपीएल उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले जल मूल्य में प्रतिवर्ष नौ फीसद, मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के बिल में 11 फीसद और शहरी क्षेत्र के व्यवसायिक पेयजल कनेक्शन पर बिल में 15 फीसद की बढ़ोतरी की जा रही है। इसी क्रम में उत्तराखंड जल संस्थान ने अब जल मूल्य में बढ़ोतरी कर इसके हिसाब से उपभोक्ताओं को बिल भेजे हैं।
जल मूल्य में बढ़ोतरी के इस फार्मूले का पेयजल उपभोक्ता विरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक तरफ सरकार एक रुपये में पेयजल संयोजन उपलब्ध करा रही है तो दूसरी तरफ पानी के बिलों में हर साल भारी बढ़ोतरी कर रही है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल के अनुसार उनके संज्ञान में भी यह मामला आया है। उन्होंने कहा कि जल मूल्य के निर्धारण का यह पैमाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जल्द ही समीक्षा बैठक बुलाकर इस संबंध में पुनर्विचार किया जाएगा। ऐसा रास्ता निकाला जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं पर ज्यादा बोझ न पड़न पाए।
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