उत्तराखंड: नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को भूमिधरी अधिकार देगी सरकार, कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव

उत्तराखंड में नजूल भूमि पर विधिक और अवैध रूप से काबिज हजारों परिवारों को लाभ मिलेगा। इस भूमि को वे फ्री-होल्ड करा सकेंगे। इस दृष्टि से नैनीताल ऊधमसिंहनगर हरिद्वार देहरादून चम्पावत जिलों के व्यक्तियों को अधिक राहत मिलेगी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 12:09 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 12:09 PM (IST)
उत्तराखंड: नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को भूमिधरी अधिकार देगी सरकार, कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव
उत्तराखंड: नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को भूमिधरी अधिकार देगी सरकार। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। नजूल नीति के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने से उत्तराखंड में नजूल भूमि पर विधिक और अवैध रूप से काबिज हजारों परिवारों को लाभ मिलेगा। इस भूमि को वे फ्री-होल्ड करा सकेंगे। इस दृष्टि से नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, देहरादून, चम्पावत जिलों के व्यक्तियों को अधिक राहत मिलेगी। उधर, सुप्रीम कोर्ट से राहत के बाद सरकार भी नजूल नीति को लेकर सक्रिय हो गई है। शहरी विकास एवं आवास मंत्री बंशीधर भगत के अनुसार नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को सरकार भूमिधरी अधिकार देगी। इस कड़ी में कैबिनेट की छह दिसंबर को होने वाली बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा। फिर विधानसभा सत्र में नजूल नीति विषयक विधेयक लाया जाएगा, ताकि संबंधित परिवारों को तत्काल राहत देने की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

सरकार के कब्जे वाली ऐसी भूमि, जिसका उल्लेख राजस्व अभिलेखों में नहीं है, लेकिन स्थानीय निकायों के पास उसका ब्योरा है, नजूल भूमि कहलाती है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल समेत अन्य जिलों में बड़ी संख्या में लोग ऐसी भूमि पर काबिज हैं। ऐसे परिवारों को भूमिधरी अधिकार देने के उद्देश्य से सरकार वर्ष 2009 में नजूल नीति लेकर आई। इसके अंतर्गत लीज और कब्जे की भूमि को सर्किल रेट के आधार पर फ्री-होल्ड कराकर मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस कड़ी में बड़ी संख्या में नजूल भूमि पर काबिज व्यक्तियों ने प्रक्रियाएं पूरी कर निर्धारित धनराशि भी जमा कराई।

वर्ष 2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने नजूल नीति में संशोधन कर नई नीति लाने का निश्चय किया। कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी, लेकिन तब हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 की नजूल नीति को ही निरस्त करने के आदेश दे दिए थे। नतीजतन, नई नीति के संबंध में शासनादेश भी नहीं हो पाया। ऐसे में नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को मालिकाना हक मिलने की उम्मीदें धड़ाम हो गईं। अब सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में राहत मिलने से इन परिवारों के चेहरों पर रौनक लौट आई है।

इसके साथ ही सरकार भी नई नजूल नीति को लेकर कसरत में जुट गई है। शहरी विकास एवं आवास मंत्री बंशीधर भगत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से देवस्थानम बोर्ड के बाद अब नजूल प्रकरण का भी समाधान हो गया है। इससे साफ है कि प्रदेश सरकार सभी वर्गों के हितों का ध्यान रख रही है। कैबिनेट मंत्री भगत के अनुसार छह दिसंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में नजूल नीति का प्रस्ताव लाया जाएगा। साथ ही विधानसभा के नौ दिसंबर से शुरू होने वाले सत्र में नजूल भूमि एक्ट से संबंधित विधेयक पारित कराया जाएगा।

इसके अस्तित्व में आने से उत्तराखंड में वर्षों से नजूल भूमि पर काबिज परिवारों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। साथ ही ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जिस तेजी से बड़े निर्णय लिए और उन पर अमल हुआ, उससे राज्य में सकारात्मक माहौल बना है।

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