उत्तराखंड में Black Fungus की रोकथाम और इलाज को सरकार ने कसी कमर, गाइडलाइन जारी

उत्तराखंड में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने इससे बचाव रोकथाम व इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी। इसमें सभी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के इलाज में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:50 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 10:55 PM (IST)
उत्तराखंड में Black Fungus की रोकथाम और इलाज को सरकार ने कसी कमर, गाइडलाइन जारी
उत्तराखंड में Black Fungus की रोकथाम और इलाज को सरकार ने कसी कमर।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने इससे बचाव, रोकथाम व इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। इसमें सभी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के इलाज में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश देते हुए इसके इलाज में इस्तेमाल की जानी वाली दवाओं और बचाव को लेकर जानकारी दी गई है। सचिव स्वास्थ्य डा. पंकज कुमार पांडेय ने कहा कि जागरूकता और रोग की जल्द पहचान से इस फंगल इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सकता है। 

सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में सचिव स्वास्थ्य डा. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि प्रदेश सरकार ने कोरोना और संबंधित बीमारियों के इलाज को हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विश्व विद्यालय के कुलपति डा. हेम चंद्र की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसमें कुछ व्यक्तियों को और जोड़ा गया है। इनमें पिथौरागढ़ मेडिकल कालेज के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ प्रोफेसर एके बरनिया समेत चार और व्यक्तियों को शामिल किया गया है। 

इस समिति की सिफारिशों के अनुसार ब्लैक फंगस को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। उन्होंने कहा कि यह फंगस सामान्य रूप से पाया जाता है। यह उन व्यक्तियों में ज्यादा होता है, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर है। यह विशेष तौर पर मिट्टी में पाया जाता है। अस्पताल में यह डिसपेंसर, कपड़े, चादर, सीलनयुक्त कमरे, पानी के रिसाव, खराब हवा आदि से हो सकता है।

इसके अलावा यह पुराने एयर कंडिशनर, गंदे कपड़े आदि से होता है। जिन व्यक्तियों को शुगर है, जो लंबे समय से स्टेरायड ले रहे हैं और कोरोना के मरीज व कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए यह इंफेक्शन खतरनाक है। इससे बचाव के लिए शुगर को कंट्रोल में रखना जरूरी है। ऐसे में मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी शुगर की जांच करते रहें। स्टेरायड को डाक्टर की सलाह पर ही लिया जाए। 

आक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी को ही प्रयोग में लाया जाए। एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल सावधानी से किया जाए। जहां निर्माण हो रहा है और जहां ज्यादा धूल है, उन क्षेत्रों में जाने से बचा जाए। खेती में काम करते हुए जूते, लंबी पैंट और लंबी बाजू की शर्ट पहनी जाए। त्वचा को संक्रमण से बचाव के लिए चोटों को साबुन व पानी से साफ करके धोया जाए। आंखों व नाक के पास लालिमा आने, अत्याधिक खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, बलगम में खून आने व लंबे समय से बुखार को नजरंदाज न कर तुरंत डाक्टर को दिखाएं।

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