चारधाम यात्रा को सुलभ बना रही उत्तराखंड सरकार, यात्रियों के लिए शुरू कीं ये सेवाएं

सरकार अगर चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाना चाहती है तो इसी अनुपात में यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ोतरी भी आवश्यक है। चारधाम यात्रा शुरू तो हो गई है लेकिन इससे स्थानीय निवासियों को अपेक्षाकृत रोजगार नहीं मिल पा रहा है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 02:24 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 02:24 PM (IST)
चारधाम यात्रा को सुलभ बना रही उत्तराखंड सरकार, यात्रियों के लिए शुरू कीं ये सेवाएं
यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के आनलाइन ई-पास निरस्त करने की व्यवस्था भी की जा रही है

देहरादून, राज्य टीम। प्रदेश सरकार चारधाम यात्रा को सुलभ बनाने के साथ ही अधिक श्रद्धालुओं को इसमें शामिल होने का अवसर देने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में रजिस्ट्रेशन से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए अब ई-पास को आधार कार्ड से लिंक किया जा रहा है। साथ ही यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के आनलाइन ई-पास निरस्त करने की व्यवस्था भी की जा रही है। यह उन यात्राियों के लिए फायदेमंद होगी, जो चारधाम के लिए रजिस्ट्रेशन तो करा चुके हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उत्तराखंड नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके अलावा सरकार उन यात्राियों को भी सुविधा देने जा रही है, जो व्यावसायिक वाहनों से चारधाम न जाकर अन्य स्थानों पर जाना चाहते हैं। इनके सामने समस्या यह आ रही है कि जो व्यावसायिक वाहन बुक करा रहे हैं, उनके टिप कार्ड जारी नहीं हो रहे हैं। बिना टिप कार्ड के वाहनों को पर्वतीय मार्गों पर जाने नहीं दिया जा रहा है।

अब इसका समाधान निकालते हुए ऐसे यात्राियों का रजिस्ट्रेशन परिवहन विभाग की वेबसाइट पर ही करने की व्यवस्था की जा रही है। देश भर के श्रद्धालुओं को अधिक संख्या में चारधाम के दर्शन कराने के लिए सरकार हाईकोर्ट में दस्तक देने की तैयारी में है। दरअसल, हाईकोर्ट ने चारों धाम में प्रतिदिन दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की जो संख्या तय की है, सरकार उसमें बढ़ोतरी चाहती है। साफ तौर पर इसके पीछे सरकार की मंशा प्रदेश के साथ ही स्थानीय निवासियों की आर्थिकी बढ़ाने की है।

चारधाम यात्रा शुरू तो हो गई है, लेकिन इससे स्थानीय निवासियों को अपेक्षाकृत रोजगार नहीं मिल पा रहा है। चारधाम यात्रा से प्रदेश के एक बड़े वर्ग की आर्थिकी सीधे जुड़ी हुई है। इनमें होटल व्यवसायी, रेस्टोरेंट व ढाबा चलाने वाले, वाहन स्वामी व चालक-परिचालक के साथ ही घोड़ा, खच्चर चलाने वाले लोग भी शामिल हैं। आमतौर पर तकरीबन सात माह चलने वाली यात्रा से ही ये अपने पूरे साल का खर्च निकालते हैं। अब क्योंकि यात्रा देरी से शुरू हो पाई और इसमें श्रद्धालुओं की संख्या भी सीमित है, लिहाजा यात्रा से जुड़े व्यक्तियों को इससे बहुत अधिक लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है।

सरकार को चाहिए कि इस तरह की व्यवस्था बनाई जाए, जिससे चारधाम यात्रा पर आने के इच्छुक श्रद्धालु उत्तराखंड पहुंचने के बाद निराश न हों। साथ ही यह भी जरूरी है कि सरकार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाए तो इसी अनुपात में यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सुविधाओं में भी वृद्धि की जाए। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए बनाई गई गाइडलाइन का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।

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