Uttarakhand Forest Fire News: उत्तराखंड में जल रहे हैं जंगल, आग बुझाने को नहीं हैं पर्याप्त संसाधन

उत्तराखंड में जंगल की आग बुझाने को पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। वन विभाग और सरकार को हाईकोर्ट से लगी फटकार के बाद हाथ-पैर जरूर मारे जा रहे हैं लेकिन हर साल चुनौती बनने वाली आग पर काबू पाने के लिए नाकाफी इंतजाम व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 08:38 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 08:38 AM (IST)
Uttarakhand Forest Fire News: उत्तराखंड में जल रहे हैं जंगल, आग बुझाने को नहीं हैं पर्याप्त संसाधन
आपदा की श्रेणी में होने के बावजूद उत्तराखंड में जंगल की आग बुझाने को पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Uttarakhand Forest Fire News आपदा की श्रेणी में होने के बावजूद उत्तराखंड में जंगल की आग बुझाने को पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। वन विभाग और सरकार को हाईकोर्ट से लगी फटकार के बाद हाथ-पैर जरूर मारे जा रहे हैं, लेकिन हर साल चुनौती बनने वाली आग पर काबू पाने के लिए नाकाफी इंतजाम व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं। न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही आधुनिक उपकरण। बीते करीब छह माह में ही प्रदेश में दो हजार से अधिक घटनाओं में तीन हजार हेक्टेयर के करीब वन क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है। खासकर फायर सीजन की शुरुआत (मार्च) से ही प्रदेशभर में जंगल धधक रहे हैं। वन विभाग, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) आग की रोकथाम में जुटी हैं। हालांकि, वनों की आग बुझाने में टीमों के पसीने छूट रहे हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद वन विभाग संसाधन जुटाने के लिए विभिन्न प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज रहा है। लेकिन, पूर्व में यह तैयारी न किए जाने से वन विभाग और सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठना भी लाजमी है।

नैनीताल हाईकोर्ट ने दिए दिशा-निर्देश

उत्तराखंड के जंगलों में विकराल हुई आग पर नैनीताल हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी और सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने वन विभाग में रिक्त पड़े 60 फीसद वन आरक्षियों के पदों को छह माह में भरने के आदेश दिए। साथ ही सहायक चीफ कंजरवेटर के पदों पर भी जल्द नियुक्ति करने को कहा। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि एनजीटी के निर्देशों का पालन किया जाए। कोर्ट ने सरकार से जंगलों में कृत्रिम बारिश करवाने की योजना पर भी गंभीरता से विचार करने को कहा है। इसके अलावा आग बुझाने के लिए अत्याधुनिक संसाधन खरीदने व आग की घटना पर 72 घंटे के भीतर काबू पाने के निर्देश दिए हैं। जंगल की आग को लेकर उन्होंने वन संरक्षक समेत तमाम विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने को कहा है।

शासन को भेजा संसाधन बढ़ाने को प्रस्ताव

प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने बताया कि आग से प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी और आकलन के लिए शासन को ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा लीफ ब्लोअर की खरीद समेत अन्य उपकरण बढ़ाने के लिए भी प्रस्ताव भेज दिया गया है। साथ ही कृत्रिम बारिश के प्रोजेक्ट पर भी कार्य किया जा रहा है। वन आरक्षियों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। 

अक्टूबर से अब तक 2400 के करीब घटनाएं

प्रदेश में जंगलों के धधकने का सिलसिला पिछले साल अक्टूबर से जारी है। इस दौरान प्रदेश में करीब 2400 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें लगभग 3000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। अकेले गढ़वाल मंडल में ही 1360 घटनाओं में 1878 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। प्रदेशभर में अब तक सात लोग जंगल की आग की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं। इसके अलावा 21 मवेशियों की मौत और 32 मवेशी गंभीर रूप से झुलसे हैं। छह महीने में प्रदेश में 14000 के करीब पेड़ आग की चपेट में आकर राख हो गए हैं।

24 घंटे में ही 280 हेक्टेयर जंगल प्रभावित, एक की मौत

बीते 24 घंटे के दौरान एक और व्यक्ति जंगल की आग में अपनी जान गवां बैठा, जबकि, एक व्यक्ति घायल हुआ है। इसके अलावा प्रदेशभर में जंगल की आग की 141 घटनाएं हुई हैं। जिनमें कुल 280.34 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। इसमें गढ़वाल में सर्वाधिक 69 घटनाएं, कुमाऊं में 60 और संरक्षित वन क्षेत्र में 12 घटनाएं शामिल हैं।

प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रभावित पांच जिले जिला, घटनाएं, प्रभावित क्षेत्र पौड़ी, 572, 825.02 अल्मोड़ा, 175, 352.40 टिहरी, 224, 332.85 देहरादून, 138, 243.90 बागेश्वर, 169, 234.43 (प्रभावित क्षेत्र हेक्टेयर में)

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