सौ दिन में बड़ी चुनौतियों से जूझे मुख्यमंत्री तीरथ, विपरीत हालात में भी हर बाधा का किया सामना

चुनावी साल की दहलीज पर पहुंचते ही चार साल से चली आ रही भाजपा सरकार में अचानक नेतृत्व परिवर्तन। बतौर मुख्यमंत्री पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई। चुनावी साल की दहलीज पर मिली इस जिम्मेदारी को वे बखूबी संभाल रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 11:05 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 04:59 PM (IST)
सौ दिन में बड़ी चुनौतियों से जूझे मुख्यमंत्री तीरथ, विपरीत हालात में भी हर बाधा का किया सामना
सौ दिन में बड़ी चुनौतियों से जूझे मुख्यमंत्री तीरथ।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। चुनावी साल की दहलीज पर पहुंचते ही चार साल से चली आ रही भाजपा सरकार में अचानक नेतृत्व परिवर्तन। बतौर मुख्यमंत्री पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई। सबसे पहले गैरसैंण कमिश्नरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्राधिकरणों की धमक से उपजे जनाक्रोश को साधने के तुरंत बाद हरिद्वार में महाकुंभ की चुनौती और कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से तीरथ सिंह रावत सरकार को जूझना पड़ा। 100 दिन के छोटे से कार्यकाल में एक के बाद एक कई चुनौती से जूझते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विपरीत हालात में हर बाधा का न केवल सामना किया, बल्कि उनसे निपटने की रणनीति को बखूबी अंजाम तक भी पहुंचाया।

2022 के विधानसभा चुनाव में सालभर से कम समय शेष और जनाकांक्षाओं के दबाव के बीच बीती 10 मार्च को तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पदभार संभाला। चुनावी साल में चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सौ दिन का अपना कार्यकाल पूरा तो कर लिया, लेकिन इस राह पर बढ़ते हुए कई मुश्किलों से जूझना पड़ा है। पिछली सरकार के कुछ फैसलों से उपजे असंतोष को थामने के लिए मुख्यमंत्री ने सहज भाव से गैरसैंण कमिश्नरी पर पिछली सरकार के रुख पर कदम पीछे खींचने में देर नहीं लगाई। तुरंत ही उन्होंने दूसरा फैसला जिला विकास प्राधिकरणों के ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तक्षेप को दूर करने का लिया। इस संबंध में कैबिनेट सब कमेटी भी गठित की गई है।

मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायतों के सशक्तीकरण के लिए 400 नए पंचायत भवन बनाने और जीर्ण-शीर्ण पंचायत भवनों के जीर्णोद्धार का महत्वपूर्ण फैसला भी लिया। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश को अपनी गिरफ्त में ले लिया। कोरोना की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था को तो नुकसान हुआ ही, विकास कार्य भी अवरुद्ध हुए। ऐसे कठिन वक्त में कोरोना से जन हानि को थामने के लिए सरकार को पूरी ताकत झोंकनी पड़ी। राज्य में स्वास्थ्य अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार के प्रयासों को तेजी से अंजाम दिया गया। आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने राज्य खाद्य योजना के करीब 10 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को तीन माह तक अतिरिक्त खाद्यान्न लेने का अहम फैसला लिया। यही नहीं कोरोना संकट के मौके पर 23 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को सस्ती दर पर दो किलो चीनी देने की पहल सरकार ने की।

कोरोना से जान गंवाने वाले माता-पिता की मृत्यु पर अनाथ बच्चों के पालन-पोषण का जिम्मा उठाने के लिए महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना प्रारंभ की गई। वहीं 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद करने का महत्वपूर्ण फैसला लेकर सरकार ने लाखों छात्र-छात्राओं को राहत दी। कोविड-19 की वजह से ठप पड़े पर्यटन व्यवसाय से जुड़े छोटे कारोबारियों के नुकसान की भरपाई को एकमुश्त आर्थिक सहायता देने का निर्णय सरकार ने लिया। प्रदेशवासियों के लिए निश्शुल्क कोरोना टीकाकरण सरकार बड़े फैसलों में शुमार है।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने चुनावी मोर्चे पर भी पहली फतह दर्ज की। सल्ट उपचुनाव में भाजपा को जीत तो मिली ही, पिछले चुनाव से ज्यादा मत भी हासिल हुए। विकास की राह प्रशस्त करने के लिहाज से मुख्यमंत्री का हालिया दिल्ली दौर खास माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्रियों से उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक मदद हासिल करने की मुख्यमंत्री की कोशिश रंग लाई है। कई अहम परियोजनाओं की सौगात राज्य को मिली है। इससे मुख्यमंत्री को बढ़े आत्म विश्वास के साथ आगे बढऩे का नया हौसला मिला है। 100 दिन के कार्यकाल के मौके पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने संबोधन में इसकी तस्दीक भी की।

मुख्यमंत्री ने अर्पित की श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों और विधायकों के साथ 2013 की केदारनाथ आपदा व कोविड-19 में जान गंवाने वाले व्यक्तियों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में गुरुवार को विकास पुस्तिका के विमोचन से पहले मुख्यमंत्री समेत तमाम गणमान्य व्यक्तियों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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