Uttarakhand Assembly session: अगले माह ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हो सकता है विधानसभा का सत्र
अगले माह उत्तराखंड विधानसभा का सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में हो सकता है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गैरसैंण में एक सत्र कराने का सरकार से आग्रह किया है। अगले माह नवंबर में विधानसभा का सत्र आयोजित हो सकता है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly session आगामी विधानसभा चुनाव में भले ही वक्त कम रह गया हो, लेकिन इससे पहले मौजूदा विधानसभा का एक और सत्र हो सकता है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने दिसंबर से पहले ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में एक सत्र कराने का सरकार से आग्रह किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले माह विधानसभा का सत्र आयोजित हो सकता है।
प्रदेश की भाजपा सरकार में जुलाई में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद विधानसभा का सत्र अगस्त में देहरादून में हुआ था। तब से यह चर्चा भी रही कि धामी सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में एक सत्र आयोजित करा सकती है। वजह यह कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में गैरसैंण में अभी तक कोई सत्र नहीं हुआ है। गैरसैंण में सत्र आयोजित कर सरकार वहां से पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिए कोई बड़ा एलान भी कर सकती है। इसके साथ ही गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र की मुहिम को तेजी से आगे बढ़ाकर पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं को साधने का भी प्रयास कर सकती है, क्योंकि गैरसैण यहां की जनभावनाओं से जुड़ा मसला है।
यही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी गैरसैंण में सत्र के आयोजन पर जोर देते रहे हैं। सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि उनकी राय में दिसंबर से पहले एक सत्र होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि सत्र गैरसैंण में आयोजित कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्र हो अथवा नहीं, इस बारे में निर्णय सरकार को लेना है। यदि सरकार चाहेगी कि गैरसैंण में सत्र हो तो इसके लिए विधानसभा की सभी तैयारियां पूरी हैं।
कैबिनेट की बैठक 25 को
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक 25 अक्टूबर को प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इस कैबिनेट बैठक में गोल्डन कार्ड व खनन नीति में बदलाव तथा प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए प्रक्रिया में शिथिलीकरण का मसला लाया जा सकता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री घोषणा से संबंधित मसले और पिछली कैबिनेट में स्थगित किए गए परिवहन विभाग के मसलों पर भी विचार किया जा सकता है।
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