Uttarakhand Elections 2022: भाजपा पूर्व मुख्यमंत्रियों को करेगी चुनावी मोर्चे पर तैनात

भाजपा ने अब चुनाव प्रबंधन में पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश चुनाव प्रभारी व प्रदेश प्रभारी के लगातार दौरों के बीच अब पार्टी अपने दिग्गज नेताओं को उनके बड़े सियासी कद के हिसाब से अहम जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 07:53 AM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 07:53 AM (IST)
Uttarakhand Elections 2022: भाजपा पूर्व मुख्यमंत्रियों को करेगी चुनावी मोर्चे पर तैनात
Uttarakhand Elections 2022: भाजपा पूर्व मुख्यमंत्रियों को करेगी चुनावी मोर्चे पर तैनात।

विकास धूलिया, देहरादून। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता में बदलाव के मिथक को तोड़ने की मशक्कत में जुटी भाजपा ने अब चुनाव प्रबंधन में पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश चुनाव प्रभारी व प्रदेश प्रभारी के लगातार दौरों के बीच अब पार्टी अपने दिग्गज नेताओं को उनके बड़े सियासी कद के हिसाब से अहम जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही है। खास तौर पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के राजनीतिक अनुभव का लाभ लेने के लिए भाजपा उन्हें अलग-अलग मोर्चे पर तैनात करने जा रही है।

उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं। उत्तराखंड के साथ एक संयोग यह जुड़ा हुआ है कि यहां हर विधानसभा चुनाव में सत्ता बदलती है। नौ नवंबर 2000 को जब उत्तराखंड अलग राज्य बना, तब 30 सदस्यीय अंतरिम विधानसभा में भाजपा का बहुमत होने के कारण उसे ही सरकार बनाने का अवसर मिला, लेकिन वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में सत्ता हाथ आई कांग्रेस के। फिर वर्ष 2007 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और सरकार बनी भाजपा की। इसी तरह वर्ष 2012 में कांग्रेस व वर्ष 2017 में भाजपा सत्ता में आई।

कांग्रेस इस मिथक को लेकर उत्साहित है कि वर्ष 2022 के चुनाव में उसका नंबर लगेगा। उधर, भाजपा को पूरा भरोसा है कि यह परंपरा इस बार टूट जाएगी। पार्टी इसी के मुताबिक अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रही है। भाजपा ने हालांकि लक्ष्य 60 से ज्यादा सीटें जीतने का रखा है, लेकिन उसके नेता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि 70 में से 57 सीटें जीतने के पिछले प्रदर्शन को दोहराना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। लिहाजा अब पार्टी ने सांसदों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी चुनावी मोर्चे पर तैनात करने की तैयारी कर ली है।

भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्रियों की संख्या वैसे तो छह है, लेकिन इनमें से एक भगत सिंह कोश्यारी वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी अब अधिक उम्र के कारण सक्रिय तो नहीं हैं लेकिन उनके अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा। इनके अलावा भाजपा के पास चार अन्य पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत हैं। वैसे इनमें से बहुगुणा कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री रहे थे। इनमें से निशंक और तीरथ वर्तमान में सांसद हैं। इन चारों वरिष्ठ नेताओं पर पार्टी की रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने का जिम्मा रहेगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े नेताओं का उपयोग भाजपा विधानसभा चुनाव में प्रचार से लेकर प्रबंधन तक, हर क्षेत्र में करने जा रही है। हमारे सभी पूर्व मुख्यमंत्री हर लिहाज से अनुभवी हैं, और उनके अनुभवों का लाभ पार्टी चुनाव में उठाएगी। इसके लिए बाकायदा रणनीति तैयार की जा रही है।

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