Uttarakhand Elections 2022: पुष्कर डाल-डाल तो हरीश रावत पात-पात, हर दिन रोचक हो रही 2022 की चुनावी जंग

Uttarakhand Assembly Elections 2022 राज्य में चुनावी जंग हर दिन रोचक और टक्कर की हो रही है। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की रणनीति के साथ कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे को पटखनी देने का मौका नहीं चूकना चाहते।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 11:09 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 03:19 PM (IST)
Uttarakhand Elections 2022: पुष्कर डाल-डाल तो हरीश रावत पात-पात, हर दिन रोचक हो रही 2022 की चुनावी जंग
Uttarakhand Elections 2022: पुष्कर डाल-डाल तो हरीश रावत पात-पात।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022 उत्तराखंड में 2022 की चुनावी जंग हर दिन रोचक और टक्कर की हो रही है। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की रणनीति के साथ कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे को पटखनी देने का मौका नहीं चूकना चाहते। सत्तारूढ़ दल भाजपा जहां अगले पांच साल फिर सत्ता में काबिज रहने के लिए ताकत झोंक रहा है, तो उसे सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस ने भी मोर्चा खोला हुआ है। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरे जोशोखरोश के साथ पर्वतीय से लेकर मैदानी क्षेत्रों में दौरा कर रहे हैं, तो जवाब में उम्रदराज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी युवाओं सी उमंग के साथ धामी और भाजपा के खिलाफ हर मोड़ पर मोर्चा ले रहे हैं।

उत्तराखंड में सत्ता बनाए रखने और सत्ता पाने के लिए लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाने को पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। हालांकि अभी न तो चुनाव की घोषणा हुई और न ही आचार संहिता लागू हुई है, लेकिन जंग का आगाज किया जा चुका है। तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने का बीड़ा युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर है। धामी को यह अहसास भी है। इसीलिए वह पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। तकरीबन हर दिन ही मुख्यमंत्री पर्वतीय से लेकर मैदानी क्षेत्रों में जनता के बीच जा रहे हैं।

शिलान्यास-लोकार्पण में तेजी

सरकारी विभागों, जिला प्रशासन के साथ बैठकों, सरकारी योजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रमों में तेजी आ चुकी है। युवा जोश से लबरेज धामी को इस वक्त कड़ी चुनौती उनसे 25 वर्ष से अधिक उम्र के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दे रहे हैं। रावत के उत्साह और उमंग का अंदाजा इससे लग सकता है कि पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों में उनके सघन दौरे हो रहे हैं। धामी अगर पर्वतीय क्षेत्रों में दिखते हैं तो वहीं रावत भी उसी वक्त पर्वतीय क्षेत्रों की पगडंडियों को नाप रहे होते हैं। रावत के नेतृत्व में कांग्रेस प्रदेश में परिवर्तन यात्रा के दो चरण पूरे कर चुकी है।

सक्रियता में कोई नहीं छोड़ रहा कसर

धामी और रावत, दोनों ही पूरे प्रदेश में सक्रियता बनाए रखने में कसर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। जनमत को अपने पक्ष में करने की ये होड़ आने वाले दिनों में और रोचक होती दिखाई पड़ सकती है। धामी महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों के केंद्र में आम जन, किसानों, महिलाओं और युवाओं को रख रहे हैं तो हरीश रावत प्रदेश भी महंगाई, बेरोजगारी, लुभावने वायदों के साथ प्रदेश की भाजपा सरकार को निशाने पर लेने में कमी नहीं छोड़ रहे। 

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