उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए अग्नि परीक्षा है 2022 का चुनाव
Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए अगला एक साल बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है। 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी के मुखिया के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के लिए अगला एक साल बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने जा रहा है। 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव राज्य में प्रमुख विपक्षी पार्टी के मुखिया के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं। पार्टी का भविष्य और प्रीतम का कद, तय करने में ये चुनाव अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रीतम सिंह चार साल का कार्यकाल बीते दिनों पूरा कर चुके हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन की बागडोर चकराता विधानसभा क्षेत्र में लगातार पांच दफा जीत दर्ज करने वाले विधायक प्रीतम सिंह के हाथों में सौंप दी थी। इसके बाद से प्रदेश संगठन को ब्लाक से लेकर प्रदेश स्तर पर मजबूत और सक्रिय करने के साथ ही विभिन्न क्षत्रपों को साधते हुए आगे बढ़ने की चुनौती का सामना प्रीतम ने पिछले चार वर्षों में बखूबी किया है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सूबे की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली भाजपा ने दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन जारी रखते हुए लोकसभा की सभी पांचों सीटों पर कब्जा जमाया था।
हालांकि, शहरी निकायों के चुनाव में कांग्रेस ने प्रदर्शन में सुधार किया, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप यह प्रदर्शन नहीं रहा। कांग्रेस के सामने भाजपा के प्रचंड बहुमत को चुनौती देकर अपनी खोई सियासी जमीन वापस पाने की चुनौती है। इस लिहाज से अगले विधानसभा चुनाव को पार्टी के लिए अहम माना जा रहा है। इस चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से यह तो तय होगा कि कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी या नहीं।
सत्ता में वापसी करने की सूरत में प्रीतम सिंह के कद में इजाफा होना तकरीबन तय है। देखना ये होगा कि प्रीतम इस परीक्षा में कैसा प्रदर्शन करते हैं। फिलहाल पार्टी जिसतरह से जन मुद्दों को लेकर मुखर है और भाजपा की खामियों को निशाना बना रही है, उसे देखते हुए यह भी तय है कि कांग्रेस आने वाले दिनों में सत्तारूढ़ दल और सरकार की परेशानी बढ़ाने में कसर छोड़ने वाली नहीं है।
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