Uttarakhand Assembly Election 2022: कांग्रेस के दिग्गजों में सीटों के फार्मूले पर जोर आजमाइश

Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव में भले ही अब काफी वक्त हो लेकिन कांग्रेसी दिग्गजों ने विधानसभा सीटों का गणित अपने-अपने पक्ष में रखने की जोड़-तोड़ तेज कर दी। सत्ता में आने की स्थिति में यही गणित सियासी अरमानों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 08:10 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 09:07 AM (IST)
Uttarakhand Assembly Election 2022: कांग्रेस के दिग्गजों में सीटों के फार्मूले पर जोर आजमाइश
कांग्रेस के दिग्गजों में सीटों के फार्मूले पर जोर आजमाइश।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Election 2022 उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव में भले ही अब काफी वक्त हो, लेकिन कांग्रेसी दिग्गजों ने विधानसभा सीटों का गणित अपने-अपने पक्ष में रखने की जोड़-तोड़ तेज कर दी है। सत्ता में आने की स्थिति में यही गणित सियासी अरमानों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसे भांपकर ही पार्टी हाईकमान भी टोह लेने में जुट गया है। यह भी तय है कि सीटों को लेकर आखिरी फैसला हाईकमान ने ही करना है।

2022 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर विधानसभा सीटों को लेकर फार्मूला भी तय होना है। हालांकि, इसके लिए अभी वक्त है, लेकिन प्रदेश के सियासतदां इस मामले में पूरी तरह अलर्ट मोड में है। दिग्गजों की निगाहें सीटों पर है। चुनाव के बाद सत्ता मिलने की स्थिति में सीटें का समीकरण ही उनके भविष्य की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएगा। पार्टी हाईकमान इस स्थिति से पूरी तरह भिज्ञ है। यही वजह है कि प्रदेश से दूर दिल्ली में प्रदेश प्रभारी के आवास पर बड़े नेताओं के साथ बैठकों का दौर शुरू किया गया है।

सूत्रों की मानें तो बीते दिनों हुई पहली बैठक में भी प्रभारी के साथ सीटों के फार्मूले पर भी चर्चा हुई। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता डा इंदिरा हृदयेश ने हिस्सा लिया था। इस बैठक के साथ आगे होने वाली बैठकों के केंद्र में विधानसभा सीटों का मुद्दा अहम हो चला है। बताया जा रहा है कि प्रदेश की 50 फीसद यानी 35 सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर विवाद की स्थिति न के बराबर है। शेष सीटों के लिए जरूर मारामारी है। पार्टी हाईकमान इस मुद्दे पर अपने पत्तों जल्द खोलने के पक्ष में नहीं है। दरअसल पार्टी नेतृत्व की असली चिंता यही है कि क्षत्रपों की जोड़-तोड़ और खींचतान में कहीं सीट ही हाथ से निकल न जाए।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का हश्र देखने के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहा है। दिग्गजों को मूल मंत्र यही दिया जा रहा है कि पहले एकजुट होकर चुनावी जंग लड़ी जाए। इसे ध्यान में रखकर ही चुनाव संचालन समिति का गठन पहले करने की तैयारी है। पार्टी शुरुआती दौर से चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने पर जोर लगाना चाहती है। दिग्गजों को पहले यही समझाया जा रहा है। यह भविष्य ही तय करेगा कि कांग्रेस की चुनावी सियासत पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के मुताबिक करवट लेती है या दिग्गज अपनी बिसात पर पार्टी को चलने के लिए मजबूर करते हैं।

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