अटल आयुष्मान में हुआ फर्जीवाड़ा, दो अस्पताल निलंबित

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में अली नर्सिग होम काशीपुर व प्रिया अस्पताल हरिद्वार के खिलाफ प्रथम दृष्टि में योजना संचालन में अनियमितताएं व धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है।

By Edited By: Publish:Sat, 20 Apr 2019 09:02 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 08:38 AM (IST)
अटल आयुष्मान में हुआ फर्जीवाड़ा, दो अस्पताल निलंबित
अटल आयुष्मान में हुआ फर्जीवाड़ा, दो अस्पताल निलंबित

देहरादून, राज्य ब्यूरो। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में अली नर्सिग होम काशीपुर व प्रिया अस्पताल हरिद्वार के खिलाफ प्रथम दृष्टि में योजना संचालन में अनियमितताएं, अनुबंध का उल्लंघन व धोखाधड़ी की पुष्टि हुई है। इसे देखते हुए योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत ने इन अस्पतालों की सूचीबद्धता (इम्पैनलमेंट) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए इनके सभी भुगतान रोक दिए हैं। दोनों अस्पतालों में अनियमितता की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है, जो 15 दिन के भीतर पूरी जांच कर रिपोर्ट कार्यालय को सौंपेगी।

अटल आयुष्मान उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से लगातार अनियमितताओं की शिकायत मिल रही है। इसमें काशीपुर के आस्था अस्पताल को निलंबित किया जा चुका है। इस कड़ी में कार्यालय द्वारा कराई गई जांच में दो और अस्पतालों में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। योजना के तहत सूचीबद्ध अली नर्सिग होम, अलीखान चौक, काशीपुर के खिलाफ मिली शिकायत की जांच में पाया गया कि यहां कुल 72 मरीजों में से मात्र 13 का ही रैफरल लिया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा में कोई भी चिकित्सक तैनात न होने के बावजूद मेडिकल ऑफिसर की मोहर लगाकर 12 मरीजों को रैफर किया गया है। यहां 72 में से 44 मरीजों का उपचार केवल दो पैकेज में किया गया। यहां तक कि 72 में से 64 मरीजों की डिस्चार्ज समरी एक ही तरीके से बनाई गई है। जिस डॉक्टर के इनमें हस्ताक्षर हैं, उनका नाम अस्पताल के पुराने रिकार्ड में नहीं है।

इसी प्रकार प्रिया अस्पताल, धनपुरा लक्सर (हरिद्वार) में जिस चिकित्सक को 24 घंटे उपलब्ध बताया है। वह पहले से ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रायसी में संविदा के आधार पर तैनात हैं। इसके अलावा यह चिकित्सक एक अन्य अस्पताल में भी अपनी सेवाएं दे रहा है। यहां 40 में से 33 मरीजों का इलाज तीन पैकेज के अंतर्गत किया गया है। इन मरीजों में से 23 को साधारण बीमारी होते हुए भी रैफरल के जरिये भर्ती किया गया। दोनों ही प्रकरणों की जांच डॉ.अमलेश कुमार सिंह और डॉ. मदन मोहन को सौंपी गई है। इसके साथ ही दोनों अस्तपालों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभिकरण के सिस्टम पर ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए हैं।

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