टीओएफ सर्जरी कर दो बच्चों को दिया नया जीवन

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कॉर्डियक थोरसिक सर्जरी विभाग ने दो बच्चों की जन्मजात टैट्रोलोजी ऑफ फैलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी कर उन्हें नया जीवन दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 04:55 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 04:55 AM (IST)
टीओएफ सर्जरी कर दो बच्चों को दिया नया जीवन
टीओएफ सर्जरी कर दो बच्चों को दिया नया जीवन

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के कॉर्डियक थोरसिक सर्जरी विभाग ने दो बच्चों की जन्मजात टैट्रोलोजी ऑफ फैलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी कर उन्हें नया जीवन दिया है। दोनों बच्चे तीन साल से इस बीमारी से ग्रसित थे।

एम्स के सीटीवीएस विभाग के कॉर्डियक थोरेसिक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता ने बताया कि एम्स में पिछले डेढ़ वर्ष में लगभग 100 से अधिक मरीज अपनी जन्मजात हृदय की बीमारियों से निजात पा चुके हैं। जिसमें शिशु, किशोर व युवा भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि टैट्रोलॉजी ऑफ फैलोट एक गंभीर बीमारी है, जिसमें धीरे धीरे हार्ट फेल हो जाता है। हाल में संस्थान में तीन साल के दो बच्चों का सफल टीओएफ रिपेयर किया गया है। जिसमें एक चकराता, देहरादून निवासी बच्ची व दूसरा रुड़की हरिद्वार का एक बच्चा शामिल हैं। सफल सर्जरी के बाद अब दोनों बच्चे स्वस्थ हैं। डॉ. अनीश के मुताबिक इस तरह के ऑपरेशन में कई बार फेफड़े की नली का रास्ता खोलते वक्त पल्मोनी वाल्व काटना पड़ता है, जिससे ऑपरेशन की जटिलता बढ़ जाती है। साथ ही कुछ दशकों बाद मरीज को वाल्व बदलने की आवश्यकता पड़ती है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने इस सफलता के लिए चिकित्सकीय टीम की सराहना की।

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मेडिकल की यह सबसे जटिल ब्रांच

एम्स में पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। यह मेडिकल विभाग की सबसे जटिल ब्रांच है, जिसमें किसी भी केस को करते समय आधुनिक मशीनों के साथ साथ संपूर्ण टीम का सहयोग जरूरी होता है। इससे जुड़े ऑपरेशन काफी जटिल एवं नाजुक होते हैं तथा आपरेशन के दौरान पेशेंट की जान जाने का खतरा बना रहता है।

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क्या है टेट्रोलोजी ऑफ फैलोट (टीओएफ)

- हृदय की जन्मजात बीमारी जिसमें दिल में छेद होने के साथ साथ फेफड़े में खून ले जाने वाला रास्ता सिकुड़ा होता है।

- गंदा खून दिल के छेद से होते हुए साफ खून में मिल जाता है,जिससे मरीज का शरीर नीला पड़ जाता है।

- इस जन्मजात बीमारी के कारण सांस फूलना, बलगम में खून आना, दिमाग में मवाद भरना, दौरा पड़ना, लकवा आदि भी हो सकता है।

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