हाल-ए-चौराहा : कारगी चौक पर बेतरतीब दौड़ते हैं वाहन, मूकदर्शक बना सिस्टम
शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बन चुके ऐसे चौराहों और उनकी अव्यवस्थाओं को जिम्मेदारों के समक्ष उजागर करने के लिए ‘दैनिक जागरण’ की ओर से धरातल पर पड़ताल की जा रही है। इसी क्रम में आज सबसे पहले सूरत-ए-हाल बयां किया जा रहा है कारगी चौक का।
जागरण संवाददाता, देहरादून। जब बात राजधानी की हो तो जेहन में सुव्यवस्थित व सुगम यातायात और चमचमाती सड़कों वाले चौराहों-तिराहों की तस्वीर कौंधना लाजिमी है। मगर, हमारे दून की तस्वीर इससे पूरी तरह जुदा है। यहां के चौराहों और तिराहों की पहचान हैं क्षतिग्रस्त सड़कें, आड़े-तिरछे लगे ट्रैफिक सिग्नल और बदहाल यातायात। फुटपाथ, डिवाइडर और जेब्रा क्रॉसिंग भी सिर्फ कहने के लिए हैं। कई चौराहों पर तो ट्रैफिक सिग्नल और पुलिस बूथ महज शोपीस बने हुए हैं।
जब चौराहों का ये हाल हो तो सड़कों के हालात क्या होंगे, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। शहर की यातायात व्यवस्था के लिए नासूर बन चुके ऐसे चौराहों और उनकी अव्यवस्थाओं को जिम्मेदारों के समक्ष उजागर करने के लिए ‘दैनिक जागरण’ की ओर से धरातल पर पड़ताल की जा रही है।
इसी क्रम में आज सबसे पहले सूरत-ए-हाल बयां किया जा रहा है कारगी चौक का। चौड़ाई के लिहाज से तो यह चौराहा यातायात व्यवस्था के लिए उपयुक्त है, मगर सिस्टम की हीलाहवाली के चलते यहां हर वक्त हादसों का खतरा बना रहता है। यातायात संचालन के लिए लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल के खुद के ‘सिग्नल’ गुल हैं। ऐसे में यातायात भगवान भरोसे चलता है। चारों ओर से वाहन बेरोक-टोक आवाजाही करते हैं। वाहन चालक यातायात नियमों को धता बताकर कभी भी कहीं से भी मुड़ जाते हैं।
सड़क पार करने वाले भी मनमाफिक आवाजाही करते हैं। इस कारण कई बार तो दुर्घटना की नौबत भी आ जाती है, लेकिन सिस्टम की नींद नहीं टूटती। ऐसा नहीं है कि यहां पुलिसकर्मी तैनात नहीं रहते, लेकिन अधिकांश समय वो एक कोने में खड़े होकर मूकदर्शक की तरह वाहनों की रेलमपेल को निहारा करते हैं। राजमार्ग होने के कारण यहां निजी वाहनों के साथ सार्वजनिक परिवहन की भी भीड़ रहती है। ट्रक और डंपर भी दिनभर गुजरते हैं। ऐसे में सिस्टम की लापरवाही हादसों को न्योता तो दे ही रही है, बल्कि यहां से आवाजाही करने वाले हर शख्स के लिए तकलीफदेह भी बनी हुई है।
गैस की लाइन बिछाई, बिगाड़ दी सड़क की सूरत
कारगी चौक से पटेलनगर जाने वाली सड़क पर कुछ समय पहले गेल ने गैस की पाइपलाइन बिछाई थी। कार्य पूरा हुआ तो खोदी गई सड़क भर दी गई, लेकिन यह हिस्सा इतना ऊंचा कर दिया कि इसपर वाहन चढ़ाने में चालकों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार हादसे भी हो जाते हैं। जनता की इस परेशानी की निर्माणदायी संस्था ने तो सुध ली नहीं, लोक निर्माण विभाग भी आंखें मूंदे है।
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