मसूरी-नैनीताल को जल्द मिलेगी पार्किंग की समस्या से निजात, भूमिगत पार्किंग बनाएगा THDCIL

Tourist Place Mussoorie and Nainital मसूरी और नैनीताल में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआइएल) भूमिगत पार्किंग का निर्माण कराने जा रही है। पार्किंग की क्षमता 100-100 कारों की होगी। इसमें भविष्य में बढ़ाकर 500 तक किया जा सकेगा।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 03:50 PM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 03:50 PM (IST)
मसूरी-नैनीताल को जल्द मिलेगी पार्किंग की समस्या से निजात, भूमिगत पार्किंग बनाएगा THDCIL
मसूरी-नैनीताल को जल्द मिलेगी पार्किंग की समस्या से निजात।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। मसूरी और नैनीताल को जल्द ही पार्किंग की समस्या से निजात मिल जाएगी। इन दोनों पर्यटन स्थलों में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआइएल) भूमिगत पार्किंग का निर्माण कराने जा रही है। पार्किंग की क्षमता 100-100 कारों की होगी। इसमें भविष्य में बढ़ाकर 500 तक किया जा सकेगा।

ऋषिकेश में मंगलवार को मीडिया से बातचीत में टीएचडीसीआइएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव कुमार विश्नोई ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की ओर से मसूरी और नैनीताल में भूमिगत पार्किंग बनाने का प्रस्ताव आया था। इस पर टीएचडीसीआइएल ने अपनी सहमति दे दी है। जल्द ही तकनीकी टीम दोनों शहरों में स्थान का चयन करेगी। उन्होंने बताया कि इसका खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। प्रथम चरण में मसूरी और इसके बाद नैनीताल में काम शुरू किया जाएगा।

प्रबंधक निदेशक विश्नोई के अनुसार भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में सड़कों के उपचार के लिए टीएचडीसीआइएल राज्य सरकार को कंसल्टेंसी के रूप में सेवा दे रही है। आल वेदर के तहत बदरीनाथ हाईवे पर तोता घाटी और गंगोत्री हाईवे पर चंबा में सर्वे के बाद ट्रीटमेंट का डिजाइन तैयार कर विभाग को दे दिया गया था। इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग की 20 भूस्खलन प्रभावित सड़कों पर काम पूरा कर हो चुका है।

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100 साल तक मैदानी क्षेत्र में बाढ़ रोकेगा टिहरी बांध

टीएचडीसीआइएल के सीएमडी राजीव कुमार विश्नोई ने बताया कि टिहरी झील में अब 830 मीटर तक जल संग्रहण किया जा रहा है। राज्य सरकार की अनुमति के बाद यह काम संभव हो पाया। वर्ष 2013 में केदार घाटी की आपदा के बाद मैदानी क्षेत्र के कई शहरों को इसी झील के कारण बाढ़ से बचाया जा सका था। अब जलसंग्रहण क्षमता बढ़ जाने के बाद अगले 100 वर्षों तक बांध बाढ़ रोकने में सहायक होगा।

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