शिक्षिकाओं ने बढ़ाए पर्यावरण संरक्षण को कदम, आज वट सावित्री व्रत पर लेंगी यह संकल्‍प

कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य आक्सीजन और पर्यावरण संरक्षण की ओर सभी का ध्यान खींचा है। यही कारण है कि लोग जहां अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं वहीं पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक हुए हैं। शिक्षिकाओं ने भी पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने की पहल की।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 09:26 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 09:32 AM (IST)
शिक्षिकाओं ने बढ़ाए पर्यावरण संरक्षण को कदम, आज वट सावित्री व्रत पर लेंगी यह संकल्‍प
देहरादून की शिक्षिकाओं ने भी पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने की पहल की है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: कोरोना संक्रमण ने स्वास्थ्य, आक्सीजन और पर्यावरण संरक्षण की ओर सभी का ध्यान खींचा है। यही कारण है कि लोग जहां अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हो गए हैं, वहीं पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक हुए हैं। देहरादून की शिक्षिकाओं ने भी पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने की पहल की है। खास बात यह है कि शिक्षिकाओं ने पौधारोपण और देखभाल की शुरुआत वट सावित्री व्रत के शुभ दिन से करना तय किया है। शिक्षिकाओं का कहना है कि वट सावित्री व्रत को इस साल कुछ अलग अंदाज में मनाएंगी। अपने पति की लंबी उम्र की तो कामना करेंगी ही, पर्यावरण संरक्षण को भी कदम उठाएंगी। 

नारीशिल्प इंटर कॉलेज की पूर्व प्रधानाचार्या डॉ. कुसुम रानी नैथानी का कहना है कि विवाह के बाद से पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत लेती हूं। इस बार पर्यावरण संरक्षण की ओर भी कदम बढ़ाने का प्रयास करूंगी। मैंने हर साल वट सावित्री के दिन एक वट का पौधा लगाने और उसकी देखभाल का संकल्प लिया है। भगवान से कोरोना महामारी की शांति और जनजीवन सामान्य करने की प्रार्थना भी करूंगी। विकास के नाम पर जिस तेजी से पर्यावरण का दोहन हो रहा है, उसके प्रति सचेत होने की जरूरत है।

जीजीआइसी राजपुर रोड की प्रधानाचार्य प्रेमलता बौड़ाई का कहना है कि कोरोना महामारी ने हमें ऑक्सीजन की कीमत बता दी है। अब भी नहीं संभले तो भविष्य में और बुरा प्रभाव हो सकता है। इस वट सावित्री पर मैंने और मेरी साथी शिक्षिकाओं ने स्कूल और पार्क में वट के पौधे रोपने और देखभाल का संकल्प लिया है। साथ ही अपनी कालोनी में रहने वाले दूसरे लोग को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने का प्रयास करेंगे।

यह भी पढ़ें- ...तो फुटबाल बन गया उत्तराखंड सरकार का वात्सल्य, विभागों के बीच धक्के खा रही ये योजना

एमकेपी पीजी कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर ऋचा कांबोज का कहना है कि वट सावित्री के व्रत की खास मान्यता है पति की लंबी उम्र और परिवार के सुख के लिए इस दिन विधिवत वट के वृक्ष की पूजा की जाती है। खास बात यह भी है कि वट सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाले पेड़ों में शुमार है इसलिए इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। इस साल मैंने, परिवार की दूसरी महिलाओं और मेरी सहेलियों ने व्रत के अवसर पर एक वट का पौधा लगाने और उसकी देखभाल का संकल्प लिया है।

सीएनआइ गल्र्स की शिक्षिका प्रीति गुप्‍ता का कहना है कि वट सावित्री व्रत पर अब तक अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती थी, लेकिन इस साल पति की लंबी उम्र के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक पौधा लगाऊंगी। कोरोना संक्रमण ने हमें आक्सीजन की कीमत बता दी है। कोरोनाकाल खत्म होने के बाद ज्यादा से ज्यादा अधिक आक्सीजन छोडऩे वाले पौधे रोपने की योजना है।

यह भी पढ़ें-सर्व धर्म प्रार्थना में हर कोई होना चाहता है शामिल, 14 जून को सुबह 11 बजे पूरे प्रदेश में होगी सर्व धर्म प्रार्थना

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी