देहरादून में श्मशान घाटों में तीन गुना अंतिम संस्कार, मौत पर सवाल?

दून में कोरोना से जिन व्यक्तियों की मौत हो रही है उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत रायपुर स्थित श्मशान घाट में किया जा रहा है। हेल्थ बुलेटिन में रोजाना दर्ज हो रहे मौत के आंकड़ों के अनुरूप श्मशान घाट में अंतिम संस्कार का दबाव भी दिख रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 10:53 AM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 04:47 PM (IST)
देहरादून में श्मशान घाटों में तीन गुना अंतिम संस्कार, मौत पर सवाल?
यह दृश्य रायपुर स्थित कोविड श्मशान घाट का है। एंबूलेंस इन दिनों श्मशान घाट तक शव ढोने में जुटे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून में कोरोना से जिन व्यक्तियों की मौत हो रही है, उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत रायपुर स्थित श्मशान घाट में किया जा रहा है। राज्य सरकार के हेल्थ बुलेटिन में रोजाना दर्ज हो रहे मौत के आंकड़ों के अनुरूप इस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार का दबाव भी दिख रहा है। मगर, इस सबके बीच जो बात असामान्य है, वह यह कि अन्य श्मशान घाटों में भी अंतिम संस्कार का आंकड़ा बढ़ रहा है। सामान्य दिनों की अपेक्षा बीते एक माह में यह आंकड़ा तीन गुना से अधिक हो गया है। एकाएक हुई इस बढ़ोतरी को सामान्य तो कतई नहीं माना जा सकता। ..तो क्या यह मान लिया जाए कि कोविड प्रोटोकॉल से इतर जिनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है, उन पर भी कोरोना का साया पड़ा है और संबंधित व्यक्तियों या उनके स्वजनों ने कोरोना की जांच नहीं कराई? यदि ऐसा है तो हालात वाकई विकट हैं।

दून के प्रमुख पांच श्मशान घाटों में सामान्य दिनों में हर माह 500 से कम अंतिम संस्कार किए जाते हैं। इससे उलट बीते एक माह में इन श्मशान घाटों में यह आंकड़ा 1570 के करीब जा पहुंचा है। आधिकारिक रूप से इन व्यक्तियों की मृत्यु को कोरोना की वजह नहीं माना जा सकता। फिर भी यकीन कर पाना मुश्किल है कि अचानक बढ़ी इन मौतों के पीछे कोरोना का संक्रमण नहीं है। इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि सरकार, शासन व प्रशासन की हिदायत और जागरूकता भरी अपील के बाद भी तमाम लोग बीमार होने पर कोरोना की जांच से बच रहे हैं। फिलहाल ऐसे मामलों की रिकॉर्डिंग नहीं हो पा रही है। हालांकि, समाज की सुरक्षा व कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से इस तरह की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

दून के प्रमुख श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार की स्थिति (एक माह में)

लक्खीबाग, 580

नालापानी, 520

टपकेश्वर, 180

मालदेवता, 150

चंद्रबनी, 140

सुपुर्द-ए-खाक का आंकड़ा भी बढ़ा

यही हाल दून के प्रमुख नौ कब्रिस्तानों का भी है। सामान्य दिनों में इन कब्रिस्तानों में एक माह में सुपुर्द-ए-खाक की संख्या 250 से 270 के बीच रहती है। बीते एक माह की बात करें तो यह आंकड़ा करीब 800 तक पहुंच गया। कब्रिस्तानों के हालात भी कोरोना के आधिकारिक आंकड़ों से इतर की कहानी बयां कर रहे हैं। 

समाज की सुरक्षा के लिए यह जरूरी

-बीमारी की अवस्था या कोरोना के लक्षण होने पर कोरोना की जांच अवश्य कराएं।

-अगर बीमारी के बीच कोरोना की जांच कराए बगैर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी जानकारी स्थानीय पुलिस-प्रशासन को अवश्य दें।

-अगर मृत्यु की जानकारी प्रशासन को उपलब्ध कराई जाएगी तो कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराया जा सकता है।

-कोरोना की जांच से न सिर्फ संबंधित परिवार सुरक्षित रह सकता है, बल्कि आसपास के निवासियों की सुरक्षा के लिए भी यह जरूरी है।

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