64 हॉस्टल पर लटकी सीलिंग की तलवार, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून के बिधौली व कंडोली क्षेत्र के करीब 64 हॉस्टल पर सीलिंग की तलवार लटक गई है। हाई कोर्ट ने अवैध हॉस्टलों पर कार्रवाई के लिए कहा है।
देहरादून, जेएनएन। बिधौली व कंडोली क्षेत्र के करीब 64 हॉस्टल पर सीलिंग की तलवार लटक गई है। हाई कोर्ट ने अवैध हॉस्टलों पर कार्रवाई के लिए कहा है। लिहाजा, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने हॉस्टल संचालकों को नोटिस भेजकर अंतिम कार्रवाई को अमलीजामा पहनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
एमडीडीए सचिव गिरीश गुणवंत ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद जनवरी माह में बिधौली व कंडोली क्षेत्र में अवैध हॉस्टल की पड़ताल के लिए सर्वे कराया गया था। इसमें पाया गया कि कंडोली तक कई हॉस्टल पास हैं, जबकि इसके बाद बनाए गए हॉस्टल अवैध हैं। कई अवैध हॉस्टल के पहले ही चालान किए गए थे और शेष जिनके बारे में जानकारी मिली, उनके भी चालान कर दिए गए। ऐसे हॉस्टल पर की गई कार्रवाई से हाई कोर्ट को अवगत कराया जाना है। लिहाजा, सीलिंग की कार्रवाई को कभी भी गति दी जा सकती है।
अभी भी कई हॉस्टल पकड़ से बाहर
एमडीडीए ने बिधौली क्षेत्र में उन हॉस्टल पर तो आसानी से कार्रवाई कर दी, जिनके चालान काटे गए हैं। मगर, जिनके चालान नहीं काटे गए थे और वह अवैध रूप से बने हैं, उनके लिए सर्वे कराया गया था। यह बात और है कि सर्वे के बाद भी कई हॉस्टल पकड़ से बाहर हैं। इससे एमडीडीए के सर्वे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि कई हॉस्टल प्रभावीशाली लोगों के हैं और उन पर कार्रवाई करने से परहेज किया गया। बचाव में अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि जिन हॉस्टल पर कार्रवाई नहीं की गई, उनके नक्शे पास किए गए हैं, मगर नक्शे कैसे पास किए गए इसकी जानकारी नहीं। क्योंकि संबंधित क्षेत्र में मास्टर प्लान ही लागू नहीं है, जिससे भूपयोग भी तय नहीं किया जा सकता।
सरकार की सुस्ती भी लोगों पर भारी
बिधौली-कंडोली क्षेत्र एमडीडीए के दायरे में आता है, लेकिन यहां मास्टर प्लान लागू नहीं है। ऐसे में यहां किसी भी दशा में निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती। सरकार ने भी मास्टर प्लान लागू करने में अनावश्यक विलंब किया। जिसके चलते अधिकारियों की मिलीभगत से बिधौली क्षेत्र में तमाम बहुमंजिला हॉस्टल भी खड़े हो गए हैं। इस क्षेत्र में विलंब से जब मास्टर प्लान बनाया गया तो उसे समय पर शासन से मंजूरी नहीं मिल पाई और अब आचार संहिता के चलते मामला लटका है। बहुत संभव है कि जहां हॉस्टल खड़े हैं, वहां कई जगह लैंडयूज कमर्शियल हो गया हो। फिर भी जब तक मास्टर प्लान लागू नहीं कर दिया जाता, तब तक इनकी कंपाउंडिंग भी संभव नहीं। ऐसे में सरकार की सुस्ती के चलते हाई कोर्ट के आदेश की गाज लोगों पर गिरनी तय मानी जा रही है।
असमंजस में एमडीडीए अधिकारी
एक तरफ हाई कोर्ट का आदेश है और दूसरी तरफ मास्टर प्लान का इंतजार। एमडीडीए अधिकारी इसी के चलते असमंजस में हैं कि जब मास्टर प्लान स्वीकृति की स्थिति में है तो इतने बड़े पैमाने पर सीलिंग की कार्रवाई की जाए तो कैसे। क्योंकि इस क्षेत्र में हॉस्टल की भारी मांग भी है और अभी शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश भी घोषित नहीं किया जा सका है। इसके चलते हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने में विलंब भी हो रहा है और इस बीच हाई कोर्ट का अवमानना नोटिस भी जारी किया जा चुका है। अधिकारियों के आगे इस समय आगे कुआं और पीछे खाई जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
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