Rajaji Tiger Reserve: राजाजी की सीमा निर्धारण से जुड़ी दिक्कतें होंगी खत्म, पढ़‍िए पूरी खबर

Rajaji Tiger Reserve राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा निर्धारण से जुड़ी दिक्कतें निकट भविष्य में दूर हो जाएंगी। सीमा निर्धारण के सिलसिले में गठित समिति के सुझावों पर शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। बोर्ड की मंजूरी के बाद इसे अनुमोदन को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 07:20 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 07:20 AM (IST)
Rajaji Tiger Reserve: राजाजी की सीमा निर्धारण से जुड़ी दिक्कतें होंगी खत्म, पढ़‍िए पूरी खबर
राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा निर्धारण से जुड़ी दिक्कतें निकट भविष्य में दूर हो जाएंगी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Rajaji Tiger Reserve राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा निर्धारण से जुड़ी दिक्कतें निकट भविष्य में दूर हो जाएंगी। सीमा निर्धारण के सिलसिले में गठित समिति के सुझावों पर शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व की परिधि में आने वाले घनी आबादी वाले क्षेत्रों को बाहर करने के साथ ही रिजर्व के भीतर मौजूद गांवों को अन्यत्र विस्थापित करने का प्रस्ताव है। कई जगह रिजर्व प्रशासन और राजस्व विभाग के मध्य सीमा विवाद भी खत्म होगा। राज्य वन्यजीव बोर्ड की 22 अक्टूबर को होने वाली बैठक में इससे संबंधित समग्र प्रस्ताव रखा जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद इसे अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा।

किसी भी टाइगर रिजर्व के टाइगर कंजर्वेशन प्लान में सीमा निर्धारण का प्रविधान है। इसके तहत संबंधित रिजर्व की सीमा के बारे में स्थिति स्पष्ट होनी जरूरी है। राजाजी टाइगर रिजर्व के नजरिये से देखें तो इसमें कई खामियां हैं। दरअसल, पूर्व में तीन सेंचुरियों को मिलाकर राजाजी नेशनल पार्क अस्तित्व में आया। पार्क का क्षेत्रफल 820 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 1983 में पार्क की अनंतिम और वर्ष 2002 में अंतिम असिसूचना जारी हुई। वर्ष 2015 में सरकार ने पार्क में हरिद्वार और लैंसडौन वन प्रभाग की चार रेंजों के करीब 250 वर्ग किमी क्षेत्र को शामिल कर इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया। फिर इसका टाइगर कंजर्वेशन प्लान भी बना।

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पूर्व में राज्य सरकार को यह अधिकार था कि वह टाइगर रिजर्व की सीमा से किसी भी क्षेत्र को हटा सकती है, लेकिन बाद में केंद्र ने इसे अपने हाथ में ले लिया। इस बीच बात सामने आई कि कई स्थानों पर राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। यही नहीं, हरिद्वार व लैंसडौन वन प्रभागों के जिन क्षेत्रों को रिजर्व के बफर के तौर पर शामिल किया गया, वे अभी संबंधित प्रभागों के नियंत्रण में हैं। कुछ स्थानों पर रिजर्व की सीमा के पास घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जिससे वहां सीमा निर्धारण चुनौती बना है। इसके अलावा रिजर्व के भीतर कुछ गांव भी हैं, जिन्हें वन्यजीव प्रबंधन के मद्देनजर शिफ्ट किया जाना है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए राज्य वन्यजीव बोर्ड ने पूर्व में राजाजी टाइगर रिजर्व के सीमा निर्धारण की कसरत के लिए मंजूरी दी थी। इस पर अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई।

सूत्रों ने बताया कि कमेटी ने सीमा निर्धारण के लिए सिलसिले में अपनी रिपोर्ट को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। बीते रोज अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण आनंद बर्द्धन के समक्ष इसका ब्योरा भी रखा गया। शासन ने कुछ और सुझाव देते हुए सीमा निर्धारण के मद्देनजर समग्र प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। फिर इसे विमर्श के लिए राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।

यह है प्रक्रिया

टाइगर रिजर्व की सीमा निर्धारण से जुड़े प्रस्ताव को राज्य वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी के बाद अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से हरी झंडी मिलने पर प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का भेजा जाएगा। मंत्रालय की मुहर के बाद सीमा निर्धारण की अधिसूचना जारी होगी।

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