विकासनगर में बारिश से खिले धान उत्पादक किसानों के चेहरे

बारिश ने क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया है। कभी रात तो कभी दिन के समय हो रही बारिश ने खेतों की सिंचाई के लिए जुगत लगा रहे किसानों की समस्या को कम कर दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:55 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 05:55 PM (IST)
विकासनगर में बारिश से खिले धान उत्पादक किसानों के चेहरे
बारिश ने क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया है।

संवाद सहयोगी, विकासनगर: बारिश ने क्षेत्र के धान उत्पादक किसानों को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया है। कभी रात तो कभी दिन के समय हो रही बारिश ने खेतों की सिंचाई के लिए जुगत लगा रहे किसानों की समस्या को कम कर दिया है। बारिश के चलते क्षेत्र के खेतों में धान की रोपाई का काम वृहद स्तर पर प्रारंभ हो गया है।धान की फसल की बुवाई से पहले खेतों की सिंचाई करना कठिन रहता है। सिंचाई की आवश्यकता को पूरी करने के लिए किसान रात दिन खेतों में जुटा रहता है।

सभी किसानों को एक साथ पानी की जरूरत होने के कारण उन्हें समय से पानी की उपलब्धता के मामले में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन फिलहाल के मौसम का रूख किसानों के लिए खूब फायदेमंद साबित हो रहा है। पिछले दो दिनों से रुक-रूक कर हो रही बारिश व इससे आई तापमान में कमी ने किसान की सिंचाई की समस्या को पचास प्रतिशत तक हल कर दिया है। धर्मावाला के किसान चौधरी जगबीर सिंह, राजबीर सिंह भीमावाला निवासी राहुल, राजकुमार राठौर, ढकरानी निवासी हाजी यामीन का कहना है बारिश से खेतों की सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता पड़ रही है। जिससे किसान अपने खेतों की सिंचाई कम ही समय में करने में कामयाब हो रहे हैं। इसका फायदा यह हो रहा है कि जितने समय में एक किसान अपने एक खेत की सिंचाई करता है उतने समय में कई खेतों की सिंचाई हो जा रही है। उनका कहना है यदि दो-चार दिन इसी प्रकार का मौसम बना रहा तो काफी संख्या में किसान धान की रोपाई के काम को आसानी से पूरा कर लेंगे।

यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा- हरिद्वार कोरोना जांच फर्जीवाड़े में दोषियों पर होगी सख्‍त कार्रवाई

बरतें ये सावधानियां

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक डा. संजय सिंह ने धान किसानों को बेहतर उत्पादन के कुछ टिप्स दिए हैं। बताया कि 135 से लेकर 150 दिन में पकने वाली प्रजातियों में मुख्य रूप से बांसमती धान की टाइप तीन बासमती 370 तरावड़ी, मोटे धान की नरेंद्र 359 पीआर, 126 पीआर, 124 पीआर, 127 किस्मे हैं, जबकि संकर धान की अराइज 6444, वर्षा गोल्ड 4044 आदि हैं, जो यहां की जलवायु के हिसाब से उपयुक्‍त हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि धान की रोपाई करते समय किसी भी दानेदार कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्राय देखने में आ रहा है कि रोपाई करते समय कई प्रकार के दानेदार कीटनाशक का इस्तेमाल किसानों द्वारा किया जाता है, जिनका वास्तविक कोई लाभ नहीं मिल पाता। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जब हम कीटनाशक का छिड़काव खेत में करते हैं तो वह किसी कीट के संभावित प्रकोप से बचने के लिए या हटके दिखाई देने पर किया जाना उचित होता है, लेकिन रोपाई के समय न तो कोई कीट भूमि में जड़ों के आस पास होता है और न ही रोपाई किए जाने वाले धान में जड़ क्षेत्र में आगे आने की संभावना रहती है, अतः कीटनाशक का इस्तेमाल बिना कृषि विशेषज्ञों की सलाह के न करें। रोपाई के समय धान की स्वस्थ पौध को प्रति लीटर पानी में 5-5 ग्राम ट्राइकोडरमा व स्यूडोमोनास का घोल बनाकर लगभग 20 मिनट तक जड़ों को दबाकर रखें, तत्पश्चात खेत में रोपाई करें। ऐसा करने से बेहतर उत्पादन मिलेगा।

यह भी पढ़ें- हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़े की जांच जिले को सौंपने पर सवाल

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी