कर्मचारी धरने पर, दफ्तरों में काम ठप; जानिए क्या है कर्मचारियों की मांग
कलेक्ट्रेट व तहसील से लेकर आरटीओ नगर निगम ऊर्जा निगम विकास भवन पेयजल निगम जल संस्थान कृषि विभाग उद्यान रोडवेज समेत पशुपालन आदि विभागों व निगमों के कर्मचारी धरने पर मौजूद रहे। दून के साथ ही राज्य के सभी जिला मुख्यालय पर धरना दिया गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: राज्य में सरकारी कर्मचारियों की 18 सूत्री मांगों को लेकर बनाए साझा मंच उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का दूसरे चरण का आंदोलन शुरू हो गया। आंदोलन के पहले दिन दून के परेड ग्राउंड में विशाल धरना-प्रदर्शन किया गया। ज्यादातर विभागों व निगमों के कर्मचारी इसमें शामिल होने से सोमवार को दफ्तरों में कामकाज ठप रहा व फरियादियों को बैरंग लौटना पड़ा।
कलेक्ट्रेट व तहसील से लेकर आरटीओ, नगर निगम, ऊर्जा निगम, विकास भवन, पेयजल निगम, जल संस्थान, कृषि विभाग, उद्यान, रोडवेज समेत पशुपालन आदि विभागों व निगमों के कर्मचारी धरने पर मौजूद रहे। दून के साथ ही राज्य के सभी जिला मुख्यालय पर धरना दिया गया। राज्य कर्मचारी, शिक्षक व अधिकारियों के साझा मंच के तहत प्रदेशभर में आंदोलन के क्रम में पहले चरण में सभी सरकारी दफ्तरों में गेट मीटिंग की गई। इस दौरान समिति के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव से वार्ता भी की, लेकिन उचित भरोसा दिए जाने के बावजूद शासन ने समिति की मांगों पर गौर नहीं किया। अब समिति ने सोमवार से दूसरे चरण का आंदोलन शुरू कर दिया। कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारियों ने परेड ग्राउंड में धरना दिया और बताया कि इसके बाद 27 सितंबर को जनपद स्तरीय रैली का आयोजन होगा।
जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजे जाएंगे। सरकार के खिलाफ पांच अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली जाएगी। समिति के अनुसार उसी दिन बेमियादी हड़ताल का ऐलान संभव है। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कार्मिकों की मांगो को पूरा करने की बात उठती है तो वित्त विभाग सदैव आॢथक स्थिति का रोना रो देता है। बात यदि एसीपी की करें तो उसे लागू करने का व्यय वित्त विभाग उम्मीद से अधिक बढ़ाकर बता रहा, जबकि एसीपी से लाभ सिर्फ पदोन्नति से वंचित कार्मिकों को ही मिलना है। इनकी संख्या बेहद कम है। इस दौरान रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत ने कहा कि सरकार निगम कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार करती रही है।
उन्हें सातवें वेतन आयोग के आधार पर मकान किराया भत्ता नहीं मिला। उनका उत्पीड़न करते हुए एसीपी के भुगतान की कटौती तक की जा रही। जिससे प्रत्येक कर्मिक से लगभग पांच से दस लाख तक की कटौती होगी। पीड़त कार्मिक अत्यधिक आर्थिक कठिनाई से गुजर रहे हैं। धरने पर अरुण पांडेय, सुनील कोठारी व नंदकिशोर त्रिपाठी समेत शक्ति प्रसाद भटट, पूर्णानंद नौटियाल, पंचम सिंह विष्ट, निशंक सरोही, आरपी जोशी, विक्रम सिंह नेगी, ओमवीर सिंह आदि मौजूद रहे।
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कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
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