निजीकरण के विरोध में ऊर्जा कार्मिकों का हल्ला बोल, मुख्‍यालयों पर दिया धरना

केंद्र के विद्युत संशोधन बिल-2020 के विरोध में उत्तराखंड के ऊर्जा कर्मी मुखर हो गए हैं। ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। उन्होंने मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित किया।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 08:10 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 10:52 PM (IST)
निजीकरण के विरोध में ऊर्जा कार्मिकों का हल्ला बोल, मुख्‍यालयों पर दिया धरना
बिजली वितरण कर्मियों ने प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया।

देहरादून,जेएनएन। केंद्र के विद्युत संशोधन बिल-2020 के विरोध में उत्तराखंड के ऊर्जा कर्मी मुखर हो गए हैं। ऊर्जा निगमों के निजीकरण के विरोध में कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। उन्होंने मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित किया।  गुरुवार को उत्तराखंड विद्युत-अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विद्युत कर्मियों ने मुख्यालयों पर धरना दिया।

मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने बताया कि कोविड-19 की महामारी के बीच केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें  बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुले हैं। जिसके विरोध में देशभर के बिजली वितरण कर्मियों ने प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया। निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रीसिटी अमेंडमेंट बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट को निरस्त करने की मांग करते हुए कार्मिकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी।

कहा कि बिजली कॢमयों ने उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से निजीकरण विरोधी आंदोलन में सहयोग करने की अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान आम उपभोक्ताओं को ही होगा।  नए बिल के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100 प्रतिशत शेयर बेचे जाने हैं और निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति सरकार का कोई दायित्व नहीं रह जाएगा।

यह भी पढें: उत्‍तराखंड में कोरोना टेस्ट हुआ सस्ता, जानिए एंटीजन और पीसीआर टेस्‍ट के लिए देने होंगे कितने रुपये

इसके अलावा कर्मचारियों की अन्य प्रमुख मांग हैं कि बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल के केएसईबीलि की तरह सभी प्रांतों में एसईबीलि को पुनर्गठित किया जाए। प्रदर्शन करने वालों में डीसी ध्यानी, वाईएस तोमर, काॢतक दुबे, अनिल मिश्रा, अमित रंजन, विनोद कवि, दीपक शैली, मनोज रावत, वीके गोयल, प्रदीप कंसल, सुनील मोघा, केहर सिंह, चित्र सिंह, राजुल अस्थाना, पीपी शर्मा, गोविंद नौटियाल, अभिषेक चौहान आदि शामिल थे।

पावर जूनियर इंजीनियर भी आंदोलन में कूदे

उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने भी निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को तीनों निगमों के प्रबंध निदेशक के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किया गया। एसोसिएशन ने सरकार से पुरानी पेंशन बहाली, अवर अभियंताओं पुनरीक्षित वेतनमान में ग्रेड वेतन 4800 प्रदान करना, अवर अभियंता से सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति कोटा 58.33 प्रतिशत करने आदि मांगों पर भी कार्रवाई का आग्रह किया। प्रदर्शन करने वालों में एसोसिएशन के अध्यक्ष जेसी पंत, रविंद्र सैनी, आनंद सिंह रावत, केडी जोशी, सुनील पोखरियाल, राहुल अग्रवाल, विमल बहुगुणा आदि उपस्थित थे।

यह भी पढें: डग्गामार वाहनों का संचालन रोकने की मांग, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

chat bot
आपका साथी