जिम्मेदारों की लापरवाही बन रही हादसे का सबब

राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मोतीचूर-चीला वन्य जीव गलियारे पर 750 मीटर लंबा अंडरपास बनाया गया ताकि जंगली जानवर जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में सुरक्षित आवागमन कर सकें।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 03:00 AM (IST)
जिम्मेदारों की लापरवाही बन रही हादसे का सबब
जिम्मेदारों की लापरवाही बन रही हादसे का सबब

संवाद सूत्र, रायवाला: राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मोतीचूर-चीला वन्य जीव गलियारे पर 750 मीटर लंबा अंडरपास बनाया गया, ताकि जंगली जानवर जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में सुरक्षित आवागमन कर सकें। लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व राजाजी पार्क प्रशासन की लापरवाही वन्यजीवों व राहगीरों पर भारी पड़ रही है।

चीला-मोतीचूर वन्य जीव गलियारा करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा है, लेकिन इसके केवल 750 मीटर हिस्से में ही अंडरपास बनाया गया। जबकि खांडगांव से मोतीचूर पुलिया के बीच के क्षेत्र को भी अंडर पास में शामिल किया जाना चाहिए था। क्योंकि यह जंगल का क्षेत्र है और वन्य जीव सड़क पार करते हैं। वहीं जंगल से हाईवे पर आने वाले वन्यजीवों की रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए गए। जबकि खांडगांव पुलिया से लेकर अंडरपास की एप्रोच तक हाईवे के दोनों किनारों पर ऊंची रेलिग व ऊर्जा तार बाड़ की व्यवस्था की जानी बेहद जरूरी थी, ताकि जानवर सड़क पर न आ सके। लेकिन हकीकत यह है कि हाईवे के किनारे नाममात्र की रेलिग लगाई गई है, वह भी कई जगह से क्षतिग्रस्त है। ऊर्जा तारबाड़ का कोई इंतजाम नहीं है। जिससे आए दिन हाथी हाईवे पर आ जाते हैं। वहीं हरिपुरकलां गांव का हाईवे से संपर्क कट जाने की वजह से अंडरपास के नीचे से एक कच्चा रास्ता ग्रामीणों के आवागमन के लिए खुला रखा गया है। इस रास्ते पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है जिससे कभी भी बड़ी अनहोनी हो सकती है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के कार्यकत्र्ता दिनेश पांडे का कहना है कि गलियारे में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर एनएच व राजाजी पार्क प्रशासन को कई बार पत्र लिखा गया लेकिन जिम्मेदार सुध लेने को तैयार नहीं है। हालांकि पार्क अधिकारी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। निदेशक डीके सिंह का कहना है कि गलियारा वन्य जीवों का परंपरागत रास्ता है, इसे ऊर्जा तारबाड़ या अन्य दूसरे तरीकों से बाधित नहीं किया जा सकता है। गलियारे में हाईवे पर वाहनों की रफ्तार कम होनी चाहिए।

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