Dehradun Crime: जीएसटी अधिकारियों को गोली मारने की तैयारी में थे आरोपित, गिरफ्तारी के बाद जांच में खुली बात
फर्जी कारोबार के माध्यम से आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के रूप में 12.62 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। वह इस तैयारी में थे कि जरूरत पड़ने पर अधिकारियों पर गोली चलाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
सुमन सेमवाल, देहरादून: फर्जी कारोबार के माध्यम से आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के रूप में 12.62 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं। मामले में दो अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए मुजफ्फरनगर निवासी मयंक गौतम व बिजनौर निवासी आशीष राजपूत से की गई पूछताछ व गतिमान जांच में पता चला है कि आरोपितों के पास 32 बोर की रिवाल्वर समेत एक कट्टा भी था। जीएसटी की छापेमारी को लेकर दोनों को पहले से भनक थी और वह इस तैयारी में थे कि जरूरत पड़ने पर अधिकारियों पर गोली चलाने से भी परहेज नहीं करेंगे।
जीएसटी इंटलीजेंस देहरादून के सहायक निदेशक पंकज मिश्रा के मुताबिक, जिस दिन आशीष मयंक को गिरफ्तार किया गया, उस दिन वह देहरादून घूमने के लिहाज से आए थे। तब उनके पास हथियार नहीं थे। हालांकि, काम के सिलसिले में आने पर वह हथियार साथ रखते थे और वह तय कर चुके थे कि गिरफ्तारी की नौबत आने पर वह गोली चला देंगे।
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दूसरी तरफ, जीएसटी इंटेलीजेंस की अब तक की जांच में पता चला है कि आइटीसी का लाभ लेने के लिए फर्जी कारोबार के चलते आरोपित व उनकी टीम न सिर्फ सरकार को चूना लगा रही थी, बल्कि इस कारोबार की आड़ में मनी लान्ड्रिग भी की जा रही थी। क्योंकि फर्जी कारोबार दिखाने के लिए फर्जी ट्रांजेक्शन किए जा रहे थे। ताकि यह लगे कि कारोबार चल रहा है। हालांकि, ट्रांजेक्शन का वास्तविक प्रयोग कहां किया जा रहा था, इसका पर्दाफाश होना अभी बाकी है। अब तक की जांच में पता चला है कि विभिन्न राज्यों में छह ऐसे स्थल हैं, जहां रोजाना 40 से 45 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन किया जा रहा था। रोजाना की दर से इतनी बड़ी राशि का प्रयोग किसी भी अनैतिक कार्य के लिए संभव हो सकता है।
ईडी को सौंपेंगे मनी लान्ड्रिग प्रकरण
जीएसटी अधिकारी बेशक टैक्स चोरी के लिहाज से यह जांच कर रहे हैं, मगर इसमें बड़े स्तर पर मनी लान्ड्रिग के भी प्रमाण मिल रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए जीएसटी अधिकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारियों के संपर्क में हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, ईडी की जांच की राह आसान करने के लिए प्रकरण में जल्द एफआआर दर्ज कराई जा सकती है। यदि ईडी प्रिवेंशन आफ मनी लान्ड्रिग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई करती है तो आरोपितों की संपत्ति जब्त की जा सकती है।
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