उत्तराखंड में तहसील दिवस कार्यक्रम को लेकर बढ़ाई जा रही जागरुकता, समय-धन की होगी बचत

उत्तराखंड में विकास योजनाओं से संबंधित प्रस्ताव और आमजन की समस्याएं किसी भी स्तर पर लंबित न रहें इसके लिए प्रदेश की धामी सरकार ‘नो पेंडेंसी’ की नीति पर चल रही है। इस कड़ी में अब तहसील दिवस के आयोजन पर खास फोकस किया गया है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 10:53 AM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 10:53 AM (IST)
उत्तराखंड में तहसील दिवस कार्यक्रम को लेकर बढ़ाई जा रही जागरुकता, समय-धन की होगी बचत
उत्तराखंड में तहसील दिवस कार्यक्रम को लेकर बढ़ाई जा रही जागरुकता, समय-धन की होगी बचत

देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड में विकास योजनाओं से संबंधित प्रस्ताव और आमजन की समस्याएं किसी भी स्तर पर लंबित न रहें, इसके लिए प्रदेश की धामी सरकार ‘नो पेंडेंसी’ की नीति पर चल रही है। इस कड़ी में अब तहसील दिवस के आयोजन पर खास फोकस किया गया है, ताकि आम आदमी की समस्याओं का तहसील स्तर पर ही निराकरण हो सके और उसे जिला मुख्यालय अथवा शासन के चक्कर न काटने पड़ें। निश्चित रूप से सरकार की यह पहल सराहनीय मानी जा सकती है। ऐसा नहीं कि जनसमस्याओं के त्वरित निस्तारण के मकसद से तहसील स्तर पर तहसील दिवस के आयोजन पहली बार हो रहे हों। यह व्यवस्था तो अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर से चली आ रही है।

फरियादियों की भीड़ तहसील दिवस कार्यक्रमों में उमड़ती रही

उत्तराखंड बनने के बाद तहसील दिवस कार्यक्रमों में फरियादियों की भीड़ उमड़ती रही है और उनकी समस्याएं हल भी होती हैं। यह बात अलग है कि बाद में सिस्टम की ओर से इन कार्यक्रमों को अधिक तवज्जो न दिए जाने के कारण ये औपचारिकता तक सिमटते चले गए। अब प्रदेश की मौजूदा सरकार ने तहसील दिवस कार्यक्रमों की तरफ गंभीरता दिखाई है तो इसके पीछे भी आमजन की पीड़ा छिपी है। यदि दूरदराज क्षेत्रों के निवासियों की विभिन्न समस्याओं का निदान तहसील स्तर पर ही हो जाए तो उन्हें जिला स्तरीय अधिकारियों या फिर शासन की चौखट पर एड़ियां रगड़ने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।

धन और समय की बचत होगी

इससे उनके धन और समय की बचत होगी। इसे देखते हुए विभागीय अधिकारियों को भी चाहिए कि वे तहसील दिवस को गंभीरता से लें, क्योंकि फरियादी आस लेकर ही इन कार्यक्रमों में पहुंचते हैं। तहसील दिवस में आने वाली समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी होगी। यही नहीं, तहसील दिवस के व्यापक प्रचार-प्रसार का भी अभाव नजर आता है। यूं कहें कि सिस्टम जानबूझकर ऐसा करने से परहेज करता है। यह परिपाटी त्यागने की आवश्यकता है। कहने का आशय यह कि विभागीय अधिकारियों को जिम्मेदारी के साथ आगे आकर जनता की तकलीफों का समाधान करना चाहिए।

कोरोना काल में प्रोटोकाल का भी रखना होगा ध्यान

वर्तमान में कोरोना काल चल रहा है तो इन कार्यक्रमों के दौरान कोविड प्रोटोकाल का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि बेवजह की भीड़ न हो और जो लोग अपनी शिकायतें, समस्याएं लेकर आते हैं उनके लिए बैठने आदि की पर्याप्त व्यवस्था हो। राज्य में तहसील दिवस जैसे आयोजनों को अधिकारियों को गंभीरता से लेना होगा, ताकि आमजन की समस्याएं मौके पर ही हल हो सकें।

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