तकनीक ने बदली उत्‍तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की तस्वीर

महामारी से हर वर्ग को नई सीख मिली हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था को भी इससे नया आयाम मिलता दिख रहा है। उदाहरण के लिए जिस ऑनलाइन प्लेटफार्म को अब तक छात्र महज मनोरंजन का साधन समझकर इस्तेमाल करते थे आज वह उनके लिए पढ़ाई का बड़ा माध्यम बन गया है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 01:21 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 01:21 PM (IST)
तकनीक ने बदली उत्‍तराखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की तस्वीर
देहरादून के चकराता रोड स्थित नारी शिल्प इंटर कॉलेज। फाइल फोटो

आयुष शर्मा, देहरादून। महामारी से समाज के हर वर्ग को नई सीख मिली हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था को भी इससे नया आयाम मिलता दिख रहा है। उदाहरण के लिए जिस ऑनलाइन प्लेटफार्म को अब तक छात्र महज मनोरंजन का साधन समझकर इस्तेमाल करते थे, आज वह उनके लिए पढ़ाई का बड़ा माध्यम बन गया है। अब हर घर में क्लासरूम जैसा नजारा आम है। शिक्षक भी इस प्रयोग के दूरगामी परिणाम देख रहे हैं। कुल जमा तकनीक ने शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। हांलकि, प्रदेश के जिन क्षेत्रों में बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करते हों, वहां ऑनलाइन शिक्षा पहुंचाना बड़ी चुनौती है।

देहरादून के नारी शिल्प बालिका इंटर कॉलेज में भी सफलतापूर्वक ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन हो रहा है। पिछले 91 वर्षों का इतिहास समेटे इस कॉलेज में ऑनलाइन कक्षाओं ने मानो नए रक्त का संचार कर दिया है। हर कोई इस बदलाव को पसंद कर रहा है। सीखने का उत्साह जितना छात्राओं में है, उससे दोगुना शिक्षकों में। अब स्कूल के शिक्षक और छात्राएं न सिर्फ इस बदलाव को भविष्य में भी बरकरार रखना चाहते हैं बल्कि इस दिशा में और सीखने की चाहत भी रखते हैं। इसी स्कूल से 12वीं में विज्ञान की पढ़ाई कर रही छात्रा इल्मा अपनी बड़ी बहन के फोन से ऑनलाइन पढ़ाई कर रही हैं। इसके अलावा निशा दूसरे बच्चों की भी पढ़ाई में मदद कर रही हैं। उनके पिता इकलाख मजदूरी करते हैं। इल्मा कहती हैं कि स्कूल बंद होने के बाद भी मोबाइल से पढ़ाई होने से उनके पिता भी खुश हैं। वह तकनीक को भगवान से कम नहीं मानते, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों से भी डरते हैं। वह कहते हैं कि बच्चों को फोन का इस्तेमाल केवल पढ़ाई के लिए ही करना चाहिए, इसके अलावा इससे दूरी बनाना ही उचित है। इसी तरह दून के 350 से ज्यादा सरकारी एवं अशासकीय स्कूलों में आधुनिक तकनीक बच्चों की पढ़ाई में मददगार साबित हुई है।

आखिरी छात्र तक पहुंचना अब भी चुनौती

ऑनलाइन पढ़ाई अच्छी पहल है, लेकिन प्रदेश में इसके जरिये आखिरी छात्र तक पहुंचना अभी एक बड़ी चुनौती है। जिस प्रदेश में अब भी हजारों छात्र-छात्राएं टाट पट्टी पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हों, वहां हर छात्र को स्मार्टफोन और इंटरनेट से जोड़कर ऑनलाइन पढ़ाई कराना अपने आप में एक बड़ा टास्क है। पिछले एक साल में भी हमारा सिस्टम इतना सक्षम नहीं हो सका कि हर छात्र ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़ सका हो। कई छात्रों को संसाधनों की कमी के चलते इस मुश्किल समय मे अपनी पढ़ाई तक छोड़नी पड़ रही है। लेकिन, सभी शिक्षकों और अभिभावकों का यही मानना है कि अगर सरकार, स्कूल और अभिभावक मिलकर सुदृढ़ व्यवस्था बनाएं तो जल्द यह मुकाम भी हासिल किया जा सकता है।

जिस फोन को छूने पर पड़ती थी डांट, आज वही बना क्लासरूम

जीजीआइसी अजबपुर की 12वीं कक्षा की छात्रा आयुषी ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कभी ऑनलाइन क्लास में पढ़ने का भी मौका मिलेगा। कल तक जो फोन इस्तेमाल करने के लिए डांट पड़ती थी, आज पिता खुद उनको वही फोन देकर पढ़ाई करने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा यह बदलाव शानदार है।

शिक्षक बोले बेहतरीन अनुभव

देहरादून के नारी शिल्प बालिका इंटर कॉलेज में बिना किसी सहयोग के अपने बूते ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवाने वाली अंग्रेजी की प्रवक्ता मोना बाली 30 साल से शिक्षण से जुड़ी हैं। मोना कहती हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई का अनुभव उनके लिए नया और बेहतरीन है। इससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। उनकी पहल के बाद दूसरे शिक्षकों ने भी इसे सीखने की इच्छा जताई। शिक्षक अनिल नौटियाल का कहना है, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी आएगा, जब लोग घरों में कैद होंगे और ऑनलाइन पठन-पाठन होगा। खैर, समय के हिसाब से बदलाव भी जरूरी है।

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