ईपीएफओ ने पीएफ का 32 लाख बकाये पर दुग्ध संघ का टैंकर और जनरेटर किया जब्त

ईपीएफओ ने कर्मचारियों के पीएफ का 32 लाख रुपये का बकाया न जमा करने पर टिहरी गढ़वाल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के टैंकर व जनरेटर को जब्त कर लिया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 06:02 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 06:02 PM (IST)
ईपीएफओ ने पीएफ का 32 लाख बकाये पर दुग्ध संघ का टैंकर और जनरेटर किया जब्त
ईपीएफओ ने पीएफ का 32 लाख बकाये पर दुग्ध संघ का टैंकर और जनरेटर किया जब्त

देहरादून, जेएनएन। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कर्मचारियों के पीएफ का 32 लाख रुपये का बकाया न जमा करने पर टिहरी गढ़वाल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के टैंकर व जनरेटर को जब्त कर लिया। यदि जल्द बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो ईपीएफओ संपत्ति को नीलाम कर देगा।

पत्रकारों से रूबरू ईपीएफओ के क्षेत्रीय आयुक्त मनोज कुमार यादव ने बताया कि टिहरी का दुग्ध उत्पादक संघ वर्ष 2017 से पीएफ जमा नहीं कर रहा है, जबकि वहां 20 कार्मिक तैनात हैं। संघ पर अब तक 32 लाख रुपये का बकाया हो चुका है। इसको लेकर संघ को कई दफा नोटिस भी जारी किए गए और शासन को भी पत्र भेजा गया था। जब किसी भी स्तर से पीएफ की बकाया राशि जमा नहीं की गई तो प्रवर्तन अधिकारी राजेश कुमार व खुशी प्रकाश ने संघ के दूध के टैंकर व 62 केवी के एक जनरेट को जब्त कर दिया। इसके साथ ही संघ के बौराड़ी स्थित एक्सिस बैंक के खाते को भी अटैच कर दिया गया है। इन्हें देहरादून स्थित मुख्यालय में जमा कराया गया है।

अब जब्त की गई संपत्तियों का मूल्यांकन कराया जा रहा है। यदि शीघ्र बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो संपत्ति को नीलाम कर कर्मचारियों के पीएफ की भरपाई की जाएगी। क्षेत्रीय आयुक्त यादव ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 100 फीसद पीएफ वसूली का लक्ष्य रखा गया है। जल्द बड़े स्तर पर बकायेदारों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

बकाया राशि का विवरण

वर्ष 2017-18, 11 लाख 32 हजार 470 रुपये। वर्ष 2018-19 तक, 20 लाख 67 हजार 15 रुपये (ब्याज व पेनाल्टी सहित)

2017 से कार्मिकों को वेतन भी नहीं मिला

ईपीएफओ को कार्रवाई के दौरान पता चला कि दुग्ध संघ भारी घाटे में चल रहा है और यहां के 20 कार्मिकों को वर्ष 2017 से वेतन भी नहीं मिल सका है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि संघ कार्मिकों की पीएफ की राशि न जमा कराए।

पूछताछ में कार्मिकों ने बताया कि वह रिश्तेदारों व परिचितों से उधार लेकर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं उनकी नौकरी न चली जाए। इसलिए सब कुछ सहकर अच्छे दिनों का इंतजार कर रहे हैं। इस प्रकरण में सहकारिता सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम का कहना है कि टिहरी दुग्ध उत्पादक संघ निरंतर घाटे में चल रहा है। संघ प्रबंधन की लचर कार्यशैली के चलते यह नौबत आई है। स्थिति यह है कि बैंकों से लेकर अन्य स्तर पर भी संघ पर देनदारियां हैं। इस मसले को लेकर जल्द मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री व वित्त सचिव के साथ बैठक की जाएगी। देखा जाएगा कि संघ को घाटे से उबारने व देनदारियां चुकता करने के लिए सरकार ग्रांट दे सकती है, या स्टाफ लोन आदि के रूप संघ की मदद की जा सकती है। 

लोनिवि के 600 ठेकेदार जमा नहीं कर रहे पीएफ

प्रदेश में लोनिवि के करीब 600 ए-श्रेणी के ठेकेदार पीएफ ही जमा नहीं कर रहे हैं, जबकि इनके साथ बड़ी संख्या में श्रमिक काम करते हैं। संगठन ने इनकी सूची तैयार कर नोटिस भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त-एक मनोज कुमार यादव ने बताया कि यदि ठेकेदार जल्द पीएफ जमा नहीं कराते हैं तो इनके बैंक खाते अटैच किए जाएंगे। जरूरत पड़ी तो इनके खिलाफ एफआइआर की कार्रवाई भी की जाएगी। ऐसे में बेहतर होगा कि ठेकेदार छापेमारी या अन्य तरह की कार्रवाई से पहले ही पीएफ जमा कराना शुरू कर दें। यदि कार्रवाई में पीएफ की चोरी पकड़ी गई तो इनसे पिछला बकाया भी ब्याज व पेनाल्टी के साथ वसूल किया जाएगा। इसके अलावा ईपीएफओ ने पीएफ में पंजीकरण न कराने वाले सीबीएसई के स्कूलों की कुंडली भी बांचनी शुरू कर दी है। अब तक सैकड़ों की संख्या में ऐसे स्कूल मिले हैं, जो सालों से पीएफ जमा नहीं करा रहे हैं। इस दिशा में भी अन्य स्कूलों का निरीक्षण करने का भी निर्णय लिया गया है। 

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सरकार आगे नहीं आई तो स्थानीय निकाय पड़ेंगे मुश्किल में

प्रदेशभर के तमाम स्थानीय निकाय सालों से पीएफ जमा नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह यह भी है कि इन्होंने कभी पीएफ भी नहीं काटा। ऐसे में कर्मचारियों से पिछली वसूली की राह भी नजर नहीं आ रही। मसूरी नगर पालिका पर भी तीन करोड़ रुपये से अधिक का पीएफ बकाया बन रहा है। देहरादून नगर निगम धीरे-धीरे कर पीएफ का बकाया चुकता कर रहा है। ऐसे में स्थानीय निकाय सरकार से भी ग्रांट की अपेक्षा कर रहे हैं, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो कम आमदनी वाले तमाम निकाय संकट में पड़ जाएंगे।

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