प्रेमचंद की परंपरा के अप्रतिम कहानीकार हैं सुभाष पंत

जागरण संवाददाता, देहरादून: केंद्रीय विद्यालय-एक हाथीबड़कला में प्रख्यात कथाकार और प्रथम विद्यासागर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Feb 2018 09:56 PM (IST) Updated:Wed, 14 Feb 2018 09:56 PM (IST)
प्रेमचंद की परंपरा के अप्रतिम कहानीकार हैं सुभाष पंत
प्रेमचंद की परंपरा के अप्रतिम कहानीकार हैं सुभाष पंत

जागरण संवाददाता, देहरादून: केंद्रीय विद्यालय-एक हाथीबड़कला में प्रख्यात कथाकार और प्रथम विद्यासागर नौटियाल सम्मान से विभूषित रचनाकार सुभाष पंत का 79वां जन्मदिन मनाया गया। हम्माद फारुखी, प्रेम साहिल, डॉ. राजेश पाल, प्रतिभा कटियार, डॉ. सुनील पाडेय, हरिहर यादव, डॉ. इन्द्रजीत सिंह आदि रचनाकारों ने सुभाष पंत के साहित्यिक योगदान की चर्चा की।

साहित्यकार हम्माद फारुखी ने सुभाष पंत को प्रेमचंद, भीष्म साहनी, कमलेश्वर की परंपरा का अप्रतिम कहानीकार बताया। वहीं सुभाष पंत ने बताया कि वे लेखक कैसे बने। जब उन्होंने 1972 में सारिका पत्रिका के लिए पहली कहानी 'गाय का दूध' लिखी और पत्रिका के संपादक और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार कमलेश्वर का पत्र मिला कि उनकी कहानी सारिका के अगले अंक में छप रही है। जिसका न उन्हें यकीन हो रहा था न ही उनके समकालीन लेखकों को। कहानी छपना ही था, जिससे वो रातों-रात एक बड़े कहानीकार बन गए। गाय का दूध कहानी का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसके बाद सृजन का कारवा बढ़ता गया। बकौल सुभाष पंत लेखन उनके लिए फैशन नहीं, सामाजिक सरोकार है। भोगा हुआ अनुभवजन्य यथार्थ का रंग जब कल्पना और संवेदना के रंग में मिलता है तब कहानी पाठकों के दिलों तक पहुंचती है। सुभाष पंत के साहित्यिक योगदान पर दूरदर्शन ने एक वृतचित्र भी तैयार किया है। उनकी कहानिया अनेक विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में पढ़ाई जा रही हैं। प्रेम साहिल और हम्माद फारुखी ने सुभाष पंत का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। इंद्रजीत सिंह ने सभी का आभार जताया।

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