देहरादून नगर निगम में ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में फिर सिंडिकेट हावी, पढ़ि‍ए पूरी खबर

नगर निगम देहरादून हर वर्ष शहर का कूड़ा एक स्थान से कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन तक ले जाने को किराये पर 35 ट्रैक्टर ट्राली लगाता है। हर वर्ष इसके टेंडर निकाले जाते हैं और चयनित कंपनी को जिम्मेदारी दी जाती है लेकिन इसमें सिंडिकेट हावी रहता है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 11:05 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 11:05 AM (IST)
देहरादून नगर निगम में ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में फिर सिंडिकेट हावी, पढ़ि‍ए पूरी खबर
नगर निगम में टेंडर और विवादों का पुराना नाता रहा है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। नगर निगम में टेंडर और विवादों का पुराना नाता रहा है। चाहे होर्डिंग, डस्टबीन खरीद, टायर खरीद और अन्य विकास कार्यों के टेंडर हों या कूड़ा उठान की ट्रैक्टर ट्राली के। इस बार भी ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर के लिए भाजपा की एक महिला पार्षद का नाम फिर सुर्खियों में है। पिछले साल पार्षद ने सिंडिकेट बनाकर व नियम-कायदे ताक पर रखकर यह टेंडर अपने करीबी रिश्तेदारों को दिला दिया था। इस साल भी यही 'खेल' खेला जा रहा है। गुरुवार को डाले गए ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में एक बड़ी कंपनी के शामिल होने से घबराई पार्षद ने महापौर व अधिकारियों पर शर्तों में ढील देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। हालांकि, महापौर सुनील उनियाल गामा का दावा है कि शर्तें पूरी करने वाली कंपनी को ही टेंडर मिलेगा।

नगर निगम हर साल शहर का कूड़ा एक स्थान से कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन तक ले जाने के लिए किराये पर 35 ट्रैक्टर ट्राली लगाता है। हर साल इसके टेंडर निकाले जाते हैं व चयनित कंपनी को जिम्मेदारी दी जाती रही है, लेकिन पिछले साल भाजपा की पार्षद ने सिंडिकेट बनाकर यह टेंडर अपने चहेते को दिला दिया। चर्चा यह भी थी कि पार्षद भी इसमें पार्टनर हैं। नगर निगम ट्रैक्टर ट्राली के लिए प्रतिमाह करीब 30 से 35 लाख रुपये का भुगतान करता है। पिछले साल भाजपा पार्षद से जुड़ी जिस कंपनी को काम सौंपा गया था, उस पर जमकर घोटाले के आरोप लगे। खुद भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत ने इस मामले को उजागर करते हुए बोर्ड बैठक व कार्यकारिणी बैठक में उछाला था। कठैत ने आरोप लगाया था कि प्रतिदिन ट्रैक्टर ट्राली की जितनी संख्या व जितने फेरे दस्तावेज में दर्शाए जा रहे, उसमें घपला किया जा रहा। व्यावसायिक कार्य के लिए कृषि उपयोग के ट्रैक्टर लगाए गए थे और परिवहन विभाग ने इस मामले में ट्रैक्टर ट्राली के चालान भी किए थे। बाद में मामला निगम में दफन हो गया और काम चलता रहा। इस मर्तबा फिर टेंडर निकाले गए तो सिंडिकेट फिर हावी हो गया।

गुरुवार को टेंडर डाले गए तो सिंडिकेट ने महापौर व स्वास्थ्य अधिकारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। सिंडिकेट को निगम की ओर से जोड़ी गई नई शर्तों पर ऐतराज है। इसके अलावा एक बड़ी कंपनी ने इस बार टेंडर में हिस्सा लिया है, जिसके पास 35 व्यावसायिक ट्रैक्टर ट्राली हैं। शुक्रवार यानी आज टेंडर खुलने हैं। उसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि सिंडिकेट की चली या फिर पारदर्शी तरीके से टेंडर आवंटित किया गया।

इस बार 35 व्यावसायिक ट्रैक्टर ट्राली व जीपीएस की शर्त

नगर निगम ने इस बार 35 ट्रैक्टर ट्राली के टेंडर में दो नई शर्तें जोड़ दी हैं। पहली यह कि सभी ट्रैक्टर ट्राली व्यावसायिक पंजीकृत होने चाहिए और सभी में जीपीएस भी लगा होना अनिवार्य है। अब तक इसकी बाध्यता नहीं थी। यही दो शर्तें सिंडिकेट की अड़चन बनी हुई हैं। दरअसल, पिछले साल के टेंडर में सिंडिकेट ने ज्यादातर कृषि उपयोग ट्रैक्टर व ट्राली कूड़े के उठान में लगाई हुई थी, जो नियम विरुद्ध है। इसे लेकर निगम की बोर्ड बैठक में हंगामा भी हुआ था। आरोप ये भी था कि ट्रैक्टर ट्राली कम फेरे लगा रहे और भुगतान पूरे फेरों का ले रहे। इसी कारण से इस बार जीपीएस की शर्त रखी गई।

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