Swatantrata Ke Sarthi: मलिन बस्‍ती के बच्‍चों का भविष्‍य संवार रहे सुदीप, जानिए इनके बारे में

Swatantrata Ke Sarthi सुदीप बनर्जी मलिन और कुष्ठ रोगियों की बस्ती के बच्चों का भविष्य संवारने में जुटे हैं। उन्होंने 11 वर्ष पहले गरीब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाना शुरू किया।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 08:44 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 08:19 PM (IST)
Swatantrata Ke Sarthi: मलिन बस्‍ती के बच्‍चों का भविष्‍य संवार रहे सुदीप, जानिए इनके बारे में
Swatantrata Ke Sarthi: मलिन बस्‍ती के बच्‍चों का भविष्‍य संवार रहे सुदीप, जानिए इनके बारे में

देहरादून, अनूप कुमार। Swatantrata Ke Sarthi दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष करने वाले लोग बहुत कम होते हैं। वह भी तब जब स्वयं का जीवन अभावग्रस्त हो, लेकिन इसकी परवाह न करते हुए निरंतर समाज की सच्ची सेवा में ही अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। मलिन और कुष्ठ रोगियों की बस्ती के बच्चों का भविष्य संवारने को कुछ ऐसा कर रहे हैं हरिद्वार निवासी सुदीप बनर्जी।

उन्होंने 11 वर्ष पहले गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देने के लिए चंडीघाट पुल के नीचे पढ़ाना शुरू किया। वर्तमान में श्यामपुर कांगड़ी में स्वामी विवेकानंद एकेडमी इंटर स्कूल की स्थापना करके तिरस्कृत और वंचित परिवार के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दे रहे हैं। सुदीप बताते हैं कि वर्ष 2009 में समाजसेवी डॉ. कमलेश कांडपाल से कुछ देर की मुलाकात ने उनकी सोच को बदला। इसके बाद उन्होंने समाज में वंचित बच्चों शिक्षा देने का संकल्प लिया। चंडीघाट स्थित पुरीनगर की मलिन और कुष्ठ रोगियों की बस्ती के बच्चों का भविष्य संवारने के लिए उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित किया। 

यहां की बस्तियों में सुदीप का भी बचपन बीता था। बच्चों के लिए चंडीघाट पुल के नीचे नियमित कक्षा लगाना शुरू किया और बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलवाकर उनकी फीस का भी इंतजाम किया। सुदीप बताते हैं कि इसमें उनके सारथी बनें, रिक्शा वाला, चायवाला, रद्दी वाला और ऑटो-टेंपो चालक और कुछ सामर्थ्यवान लोग भी आगे आए। पैसों की तंगी ने भी कई बार उनके हौंसले की परीक्षा ली, लेकिन मजबूत इरादों के चलते वह रास्ते बनते गए और राह निकलती गई।

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धीरे-धीरे लोगों को सुदीप की बात समझ में आने लगी और 11 वर्ष पहले जलाया ज्ञान का दीपक आज स्वामी विवेकानंद एकेडमी इंटर स्कूल के रूप में मशाल बनकर खड़ा है। यहां तिरस्कृत और वंचित परिवार के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। इतना ही नहीं, उन्हें उच्चशिक्षा को सहयोगी लोगों की मदद से सभी तरह का सहयोग भी दिया जाता है।

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