महामारी में हृदय की वेदना से उबरने को अपनों की चाहिये संवेदना
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हुए परमार्थ कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण किया।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हुए परमार्थ कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था सामाजिक एकजुटता और शांतिप्रिय समाज के लिए अहम है। महामारी के इस दौर में हृदय की वेदना से उबरने के लिए अपनों की संवेदना चाहिए। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि वर्तमान संकट के दौर में एक पारिवारिक अपनत्व चाहिए और अपनों का सहारा चाहिए ,क्योंकि मानवता का अस्तित्व प्रेम और भाईचारे की छांव में ही जीवंत रह सकता है। पर्यावरण को शुद्ध रखने तथा विश्व शांति हेतु यहां पर निरंतर यज्ञ किया जा रहा है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि परिवार, समाज की बुनियादी और प्राकृतिक इकाई है। पारस्परिक एकता ही सामाजिक सामंजस्य की रीढ़ भी हैं। हम सभी एक विशाल वट वृक्ष की शाखाओं के समान है जो दुनिया में अलग-अलग देशों एवं दिशाओं में रह रहें हैं और हमें अपनत्व रूपी जड़ों ने जकड़ कर रखा हैं। उन्होंने कहा अब हम सभी को एक साथ आकर उस वट वृक्ष की जड़ों को प्रेम, करूणा, दया, सेवा, सहायता और सहयोग रूपी पोषक तत्वों से और मजबूत करना होगा ताकि इस बिलखती मानवता को करुणा रूपी मजबूत पिलर प्राप्त हो सके।
स्वामी चिदानंद ने कहा कि परिवार और पारिवारिक एकजुटता सभी मानवीय रिश्तों में सबसे परिष्कृत होती है। मां, बहन, भाई, पिता आदि से मिलकर एक परिवार बनता है लेकिन जो चीज सभी को एक साथ मिलाती है वह है अदृश्य गर्भनाल और वही आपसी प्रेम और त्याग की डोर है। इस डोर को कभी काटा नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह वही डोर है जो परिवार को एक साथ बांधती है। अब इसी डोर से परिवारों के साथ समुदायों को बांधना होगा ताकि सामाजिक एकता और एकजुटता को आगे बढ़ाया जा सके। परिवारों और समुदायों के बीच सामाजिक एकता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देना ही हमारा साझा लक्ष्य हो।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि प्रकृति की उपेक्षा का ही परिणाम है कि आज मानवता संकट के दौर से गुजर रही है। परिवार को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा इसलिए सभी मिलकर परिवार, पर्यावरण, प्रकृति और पृथ्वी को बचाने हेतु आगे आएं।