विज्ञान को समर्पित दून के संस्थानों से रूबरू हुए छात्र, मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने दिए तीन मंत्र

राजधानी देहरादून इस बात का धनी है कि यहां विज्ञान को समर्पित अंतरराष्ट्रीय स्तर के तमाम संस्थान हैं। रविवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर विभिन्न संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए और छात्रों समेत आमजन को वैज्ञानिक कार्यों से रूबरू कराया गया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 12:04 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 12:04 PM (IST)
विज्ञान को समर्पित दून के संस्थानों से रूबरू हुए छात्र, मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने दिए तीन मंत्र
विज्ञान को समर्पित दून के संस्थानों से रूबरू हुए छात्र।

जागरण संवाददाता, देहरादून। राजधानी देहरादून इस बात का धनी है कि यहां विज्ञान को समर्पित अंतरराष्ट्रीय स्तर के तमाम संस्थान हैं। रविवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर विभिन्न संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए और छात्रों समेत आमजन को वैज्ञानिक कार्यों से रूबरू कराया गया। सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम को देखकर छात्र खासे रोमांचित हुए। उन्होंने उस थ्योडोलाइट को भी करीब से देखा, जिससे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट की ऊंचाई मापी गई थी। यह ऊंचाई (8848 मीटर) आज भी मान्य है।

सर्वे ऑफ इंडिया की ज्योडीय और अनुसंधान शाखा के निदेशक श्यामवीर सिंह ने छात्रों को बताया कि वह किस तरह से देश व राज्यों की सीमाओं का नक्शा तैयार करते हैं। वहीं, सर्वेक्षक रमन वर्मा ने विभिन्न स्थानों की ऊंचाई मापने वाले ग्रेवीमीटर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऊंचाई पता करने के लिए गुरुत्वाकर्षण की गणना की जाती है। छात्रों को केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को मालिकाना हक देने के लिए किए जा रहे सर्वे के बारे में भी बताया गया। इस अवसर पर अधीक्षक सर्वेक्षक वीरेंद्र दत्त आदि उपस्थित रहे।

मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने दिए तीन मंत्र

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में विज्ञानी की महत्ता पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इस दौरान केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पद्मश्री प्रो. कृष्णास्वामी विजय राघवन ने छात्रों व विज्ञानियों को संबोधित करते देश के उन्नत भविष्य के लिए तीन सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि पहले सूत्र के मुताबिक ज्ञान विस्तार की संभावनाओं में विस्तार कर समाज व ज्ञान के बीच की दूरी को कम करना है।

दूसरा सूत्र द्विभाषी विज्ञान के सहयोग से सीखने के अवसर को बढ़ाना है, जबकि तीसरा सूत्र आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के विशाल आंकड़ों का अधिकाधिक प्रयोग करना है। इस अवसर पर वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद सांई, वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे। 

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