देहरादून : मालदेवता डिग्री कालेज में बढ़ाई जाएं 20 फीसद सीट

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप ) ने आज बुधवार को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर मालदेवता के प्राचार्य प्रो.एसएस साहनी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्‍होंने कालेज में सभी संकाय में 20 फीसद सीट बढ़ाने की मांग की है।

By Edited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 08:00 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 08:00 PM (IST)
देहरादून : मालदेवता डिग्री कालेज में बढ़ाई जाएं 20 फीसद सीट
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप ) ने मालदेवता डिग्री कालेज में सीट बढ़ाने की मांग की।

जागरण संवाददाता, देहरादून। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर, मालदेवता में सभी संकाय में 20 फीसद सीट बढ़ाने की मांग की है। अभाविप ने बुधवार को प्राचार्य प्रो.एसएस साहनी को इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा। कहा कि स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मालदेवता शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर है।

महाविद्यालय के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के युवक-युवतियों ने पारंपरिक विषयों में प्रवेश को आवेदन किया था, लेकिन करीब दो सौ युवा को सीटें कम होने के कारण प्रवेश नहीं मिला। ग्रामीण परिवेश वाले इन युवाओं को दून शहर आने में परेशानी होती है। इसलिए श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय तत्काल महाविद्यालय में बीए, बीएससी व बीकाम में 20 फीसद सीट का इजाफा करे, ताकि अधिक युवाओं को मौका मिल सके।

अभाविप के नगर मंत्री अर्जुन नेगी ने प्राचार्य से आग्रह किया कि इसी सत्र में सीट बढ़ाई जाएं ताकि स्नातक की पढ़ाई से ग्रामीण युवा वंचित न रहें। इस मौके पर योगेश जगूड़ी, अजय स्वामी, सोहन सिंह, सागर, राहुल कुमार आदि मौजूद रहे। उधर, प्राचार्य प्रो. एसएस साहनी का कहना है कि अभाविप के ज्ञापन को श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति को प्रेषित कर दिया गया है।

शहर के छात्र भी दाखिला से वंचित

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि दून शहर में हजारों युवा ऐसे हैं, जिनके 12वीं बोर्ड परीक्षा में 70 फीसद से अधिक अंक हैं। उन्हें डीबीएस, डीएवी व श्री गुरु राम राय पीजी कालेज में प्रवेश नहीं मिल रहा है। इन महाविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रम में बीए, बीएससी व बीकाम प्रथम सेमेस्टर में जितनी सीट निर्धारित हैं, उसके तीन गुना युवाओं ने आवेदन किया है। जिससे मेरिट अधिक जा रही है। बेहतर अंकों के बाद भी राजकीय महाविद्यालयों में स्नातक में प्रवेश से वंचित युवाओं को महंगी फीस भर निजी महाविद्यालयों में प्रवेश लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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