बैंक शाखाओं का मजबूत नेटवर्क होने के बावजूद उत्तराखंड में सीडी रेशियो कम
उत्तराखंड में प्रति बैंक शाखा औसत जनसंख्या राष्ट्रीय औसत से कहीं कम होने के बावजूद यहां सीडी रेशियो (ऋण जमा अनुपात) में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। खासकर पर्वतीय जिलों में यह अनुपात काफी कम है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में प्रति बैंक शाखा औसत जनसंख्या राष्ट्रीय औसत से कहीं कम होने के बावजूद यहां सीडी रेशियो (ऋण जमा अनुपात) में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। खासकर पर्वतीय जिलों में यह अनुपात काफी कम है। इसे देखते हुए अब ऋण-जमा अनुपात बढ़ाने पर जोर देते हुए इसे राष्ट्रीय बेंचमार्क 60 फीसद तक लाने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार ने भी बैंकिंग सेक्टर से इस पहलू पर गंभीरता से ध्यान देने को कहा है।
राज्य के बैंकिंग ढांचे पर नजर दौड़ाएं तो यहां 2370 बैंक शाखाओं का नेटवर्क है। आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के मुताबिक इन बैंक शाखाओं में 47.84 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों, 23.92 फीसद अर्द्घशहरी क्षेत्रों और 28.23 फीसद शहरी क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। वर्तमान में 1132 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्र, 567 अर्द्धशहरी क्षेत्र और 669 शहरी क्षेत्रों में हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में उत्तराखंड ग्रामीण बैंक की 289 और सहकारी बैंकों की भी इतनी ही शाखाएं हैँ। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में प्रति बैंक शाखा औसत जनसंख्या 4256 है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 11271 है।
जाहिर है कि बैंकों का सशक्त नेटवर्क राज्य में मौजूद है। बावजूद इसके ऋण-जमा अनुपात बढ़ नहीं पा रहा। आर्थिक सर्वेक्षण पर नजर दौड़ाएं तो सितंबर 2020 तक राज्य में ऋण जमा अनुपात 50 फीसद ही था। यानी बैंक कमाई तो सौ रुपये की कर रहे, मगर इसमें से विकास कार्यों के लिए सिर्फ 50 रुपये का ही योगदान दे रहे हैं। हालांकि, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, चमोली जिलों में ऋण-जमा अनुपात राष्ट्रीय बेंचमार्क से कहीं अधिक है, लेकिन शेष जिलों में यह 22 से 42 फीसद के बीच ही सिमटा हुआ है।
टिहरी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत जिलों में तो यह 21 से 28 फीसद ही है। साफ है कि चार जिलों को छोड़कर राज्य के शेष नौ जिलों में ऋण जमा अनुपात बढ़ाने के लिए अधिक कवायद की जरूरत है। हालांकि, पिछले साल से कोरोना संकट के कारण भी कई कठिनाइयां सामने आई हैं, लेकिन इससे निजात पाने के साथ ही ऋण-जमा अनुपात बढा़ने के लिए तेजी से कदम बढ़ाने की जरूरत है। आखिर, सवाल राज्य के विकास का है।
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