निष्क्रिय अफसर सबसे बड़े भ्रष्टाचारी: रेखा
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने शुक्रवार को नौकरशाही पर निशाना साधते हुए कहा कि ईमानदारी की परिभाषा निष्क्रिय रहना नहीं है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने शुक्रवार को नौकरशाही पर निशाना साधते हुए कहा कि ईमानदारी की परिभाषा निष्क्रिय रहना नहीं है। अधिकारियों को सक्रियता से कार्य करने के लिए सरकार वेतन देती है, निष्क्रियता के लिए नहीं। उन्होंने कहा कि निष्क्रिय रहकर काम न करने वाले अफसर सबसे बड़े भ्रष्टाचारी हैं। इस बीच मंत्री आर्य ने विभाग आउट सोर्सिग एजेंसी के चयन के मामले में निदेशक की भूमिका को फिर से कठघरे में खड़ा करते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग में मानव संसाधन की आपूर्ति के मद्देनजर आउट सोर्स एजेंसी के टेंडर में नियमों का पालन न किए जाने की शिकायत मिलने पर विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने टेंडर के साथ ही कार्यादेश निरस्त करने के आदेश दिए थे। साथ ही पत्रावली तलब की थी। निदेशक के फोन न उठाने और पत्रावली न भेजने पर मंत्री ने निदेशक का पता लगाने के लिए पुलिस को तहरीर तक दे दी। तब से यह मामला सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रकरण की जांच अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को सौंपी गई है।
शुक्रवार को राज्यमंत्री आर्य ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस प्रकरण पर सिलसिलेवार जानकारी दी। उन्होंने कहा है कि विभाग में राष्ट्रीय पोषण मिशन, मातृ वंदना योजना, वन स्टाप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, महिला शक्ति केंद्र समेत अन्य योजनाओं में आउट सोर्सिग एजेंसी के जरिये कार्मिक रखे जाते हैं। गत वर्ष चयनित एजेंसी का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया था। इस पर निदेशक को नई एजेंसी का चयन होने तक गत वर्ष की एजेंसी की सेवाएं जारी रखने को कहा गया। ऐसा करने की बजाए 15 सितंबर को सभी 380 आउट सोर्स कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई और नई एजेंसी के लिए 19 सितंबर को टेंडर खोलकर एजेंसी का चयन कर दिया गया। वह भी तब जबकि इसमें नियमों की अनदेखी की शिकायत होने पर उनके द्वारा इसे निरस्त करने के आदेश दिए गए थे।
मंत्री ने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि मौजूदा निदेशक उनके आदेशों, निर्देशों की लगातार अवहेलना करते आ रहे हैं। टेंडर मामले में भी निदेशक अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। विभागीय सचिव को भी इस बारे में बताने पर आदेशों का पालन नहीं हुआ। पत्र में टेंडर प्रक्रिया स्थगित करने के साथ ही निदेशक के खिलाफ कार्रवाई को कहा गया है।