अब अगर उड़ार्इ नियमों की धज्जियां तो खनन पट्टे होंगे रद

अब अगर उत्तराखंड में निजी खनन पट्टाधारकों ने पर्यावरणीय मानकों की धज्जियां उड़ाई तो उनके खनन पट्टे रद कर दिए जाएंगे।

By Edited By: Publish:Sat, 20 Oct 2018 03:01 AM (IST) Updated:Sat, 20 Oct 2018 02:39 PM (IST)
अब अगर उड़ार्इ नियमों की धज्जियां तो खनन पट्टे होंगे रद
अब अगर उड़ार्इ नियमों की धज्जियां तो खनन पट्टे होंगे रद

देहरादून, [केदार दत्त]: पर्यावरणीय लिहाज से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में सरकारी और निजी खनन पट्टाधारक पर्यावरणीय मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। लंबे अर्से से चल रहे इस खेल पर अब राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सीआ) ने गौर किया है। 

प्रदेशभर के सभी 106 खनन पट्टाधारकों ने सीआ को पिछले चार साल से रिपोर्ट ही नहीं भेजी है, जबकि नियमानुसार प्रत्येक छह माह में जानकारी भेजना अनिवार्य है। इन सभी पर कार्रवाई के मद्देनजर नोटिस भेजने की तैयारी कर ली गई है। इस मामले में यदि सीआ का रुख नरम नहीं पड़ा तो इन खनन पट्टों पर बंदी की तलवार लटकना तय है। 

उत्तराखंड में नदियों, बरसाती नालों से होने वाले उपखनिज (रेत-बजरी-बोल्डर) चुगान के साथ ही मिट्टी, खडिय़ा के खनन में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी अक्सर सुर्खियां बनती हैं। हालांकि, पर्यावरणीय मानकों की कसौटी पर खनन के लिए नियम कायदे हैं, मगर इनका न सिर्फ निजी पट्टाधारक बल्कि सरकारी एजेंसियां भी मखौल उड़ाने में पीछे नहीं हैं। 

वर्तमान में प्रदेशभर में संचालित हो रहे 106 खनन पट्टों के मामले में तो तस्वीर ऐसी ही है। इनमें 28 पट्टे गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊं मंडल विकास निगम के पास हैं, जबकि बाकी निजी क्षेत्र में। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत प्रत्येक पट्टाधारक को हर छह माह में अपनी प्रगति रिपोर्ट सीआ को देनी होती है। रिपोर्ट में आवंटित क्षेत्र में हुए खनन के बारे में पूरा ब्योरा देने के साथ ही ये भी जानकारी देनी होती है कि खनन के चलते नदी-नाले की धारा में कोई बदलाव अथवा किसी जल स्रोत पर कोई असर तो नहीं पड़ा है। 

हैरत की बात ये है कि 2014 से सरकारी और निजी क्षेत्र के किसी भी पट्टाधारक ने सीआ को यह रिपोर्ट नहीं भेजी है। ऐसे में खनन को लेकर तमाम किंतु-परंतु उठने के साथ ही सिस्टम की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। बता दें कि सीआ का पिछला कार्यकाल जनवरी 2016 में खत्म हुआ था, लेकिन प्राधिकरण का कार्यालय तो वजूद में है ही। उसे भी पट्टाधारकों ने रिपोर्ट भेजने की जहमत नहीं उठाई। 

इसका खुलासा तब हुआ, जब अगस्त में सीआ का गठन होने के बाद प्राधिकरण ने खनन पट्टों की रिपोर्ट के बारे में गहन पड़ताल शुरू की। प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के अनुसार बात सामने आई कि 2014 से किसी भी पट्टाधारक ने सीआ को रिपोर्ट नहीं भेजी। ऐसे में इस आशंका को बल मिला है कि खनन पट्टों में पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी हो रही है। 

डॉ.नेगी के अनुसार इस सबको देखते हुए राज्य में संचालित सभी खनन पट्टाधारकों को नोटिस भेजने की तैयारी है। नोटिस तैयार हो रहे हैं और तीन-चार दिन के भीतर इन्हें भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि 15 दिन के भीतर सभी पहलुओं पर जानकारी न देने वाले पट्टाधारकों के खनन पट्टे रद करने की कार्रवाई की जाएगी। किसी को भी पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी की छूट नहीं दी जाएगी। 

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