उत्तराखंड में 31 दिसंबर तक होगा आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण, शासन ने इस संबंध में जारी किए आदेश
उत्तराखंड में 31 दिसंबर तक राज्य आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण हो गया। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी कर दिया है। बता दें कि उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारियों की चिह्नीकरण प्रक्रिया वर्ष 2014 से प्रभावित चल रही है। वर्ष 2017 में इसे बंद कर दिया था।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया चार साल बाद फिर से शुरू होगी। इस दौरान जिलों में पुराने आवेदनों का तो निस्तारण होगा ही, नए आवेदन भी लिए जाएंगे। शासन ने मुख्यमंत्री घोषणा के क्रम में 31 दिसंबर तक चिह्नीकरण करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ समय पहले राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की तिथि 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ाने की घोषणा की थी। दरअसल, प्रदेश में राज्य आंदोलनकारियों की चिह्नीकरण प्रक्रिया वर्ष 2014 से प्रभावित चल रही है। वर्ष 2017 में इसे तकरीबन बंद कर दिया गया था। इस समय प्रदेश के विभिन्न जिलों में आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के सैकड़ों आवेदन जमा हैं, जिन पर सालों से सुनवाई नहीं हो पा रही थी। आंदोलनकारियों का चिह्नीकरण जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करती है।
यह समिति आवेदन के साथ लगे दस्तावेजों की जांच करने के बाद पात्र आवेदकों का राज्य आंदोलनकारी के रूप में चिह्नीकरण करती है। अब शासनादेश जारी होने के बाद आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया फिर शुरू हो सकेगी। शासन द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी जिलों में 31 दिसंबर तक लंबित मामलों का निस्तारण करने के साथ ही नए आवेदन भी स्वीकार किए जाएंगे।
आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन पर भी जल्द आदेश
प्रदेश सरकार राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी पेंशन देने की तैयारी कर रही है। अभी केवल उन आंदोलनकारियों के आश्रितों को पेंशन मिलती है, जो सात या उससे अधिक दिन जेल गए हों अथवा घायल हुए हैं। इनमें पति की मृत्यु पर पत्नी और पत्नी की मृत्यु पर पति को 5100 रुपये पेंशन मिलती है। इसके अलावा अन्य चिह्नित आंदोलनकारियों के आश्रितों के लिए पेंशन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे आंदोलनकारियों को 3100 रुपये पेंशन मिलती है। अब सरकार ने इनके आश्रितों को भी पेंशन देने का निर्णय लिया है। इसी सप्ताह इसके आदेश जारी होने की उम्मीद है।
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