एएसआइ के निदेशक ने किया महासू मंदिर हनोल का दौरा

चकराता भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग विज्ञान शाखा के निदेशक ने केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित पांडव कालीन महत्व के सिद्धपीठ श्री महासू देवात मंदिर हनोल का दौरा कर व्यवस्था देखी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 01:11 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 01:11 AM (IST)
एएसआइ के निदेशक ने किया महासू मंदिर हनोल का दौरा
एएसआइ के निदेशक ने किया महासू मंदिर हनोल का दौरा

संवाद सूत्र, चकराता: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग विज्ञान शाखा के निदेशक ने केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित पांडव कालीन महत्व की सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल का दौरा कर व्यवस्था देखी। निदेशक के साथ पहुंची एएसआइ की टीम ने मंदिर के गर्भगृह में रसायनिक उपचार को मंदिर के आंतरिक भाग का निरीक्षण किया। इस दौरान निदेशक ने मंदिर समिति व स्थानीय ग्रामीणों से मंदिर के आंतरिक हिस्से की साफ-सफाई को सुझाव मांगे।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) देहरादून मंडल की ओर से जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के प्रमुख धाम सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में पहले चरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। मंदिर क्षेत्र में अधूरे पड़े दूसरे चरण के कार्य को जल्द शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में एएसआइ के निदेशक डॉ. रामजी निगम ने महासू मंदिर हनोल क्षेत्र का दौरा कर व्यवस्था जांची। एएसआइ विज्ञान शाखा के निदेशक ने महासू मंदिर में प्राचीन काल से चली आ रही पूजा-पाठ की विधि एवं परंपरागत व्यवस्था के बारे में स्थानीय कारसेवकों, हक-हकूक धारियों व मंदिर प्रबंधन समिति के साथ चर्चा कर आवश्यक जानकारी जुटाई। विज्ञान शाखा के निदेशक डॉ. रामजी निगम ने कहा कि महासू मंदिर के मुख्य गर्भगृह के अंदर विराजमान देवता की पूजा-अर्चना के दौरान पौराणिक परंपरा के अनुसार जंगल से लाई गई चीड़ कीलकड़ी की जोक्टी जलाई जाती है, जिसके धुंए से कुछ वर्षों बाद मंदिर के गर्भगृह के आंतरिक भाग की दीवारें चीड़ लकड़ी से उत्सर्जित अत्यधिक कार्बन जमने से काली पड़ जाती है। ऐसे में एएसआइ विज्ञान शाखा की विशेषज्ञ टीम 15 से 20 साल के बीच एक बार मंदिर के आंतरिक भाग की साफ-सफाई को रासायनिक उपचार किया जाता है, जिससे दीवारें मजबूत और साफ रहती है। कहा कि मंदिर के गर्भगृह के भीतर की दीवारें ज्यादा मात्रा में कार्बन जमने से काली पड़ गई है, जिसका रसायनिक उपचार किया जाना नितांत आवश्यक है। इसके लिए निदेशक विज्ञान शाखा ने मंदिर की परंपरागत पूजा-पाठ व्यवस्था से जुड़े स्थानीय कारसेवकों व मंदिर प्रबंधन समिति के साथ चर्चा की और सुझाव मांगे। निदेशक विज्ञान शाखा ने कहा कि मंदिर प्रबंधन समिति व स्थानीय कारसेवकों की सहमति से मंदिर के आंतरिक भाग की साफ-सफाई को रासायनिक उपचार किया जाएगा। इस कार्य के लिए एएसआइ निदेशक ने सभी से सहयोग मांगा। मंदिर समिति ने बैठक में चर्चा के बाद प्रस्ताव पारित होने के बाद आगे की कार्रवाई की बात कही। इस दौरान मंदिर प्रबंधन समिति ने दौरे पर आए विज्ञान शाखा के निदेशक को स्मृति चिन्ह के रूप में महासू देवता मंदिर की फोटो भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर मंदिर समिति के प्रबंधक नरेंद्र नौटियाल, पुजारी गीताराम नौटियाल, सहायक प्रबंधक विक्रम सिंह राजगुरु, उपप्रधान जयकिशन, रोशन लाल, चंद्रमोहन नौटियाल आदि मौजूद रहे।

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