हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर को किसी ने सराहा तो किसी ने उठाए सवाल

हैदराबाद की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध में संलिप्त चारों आरोपितों के एनकाउंटर पर बुद्धिजीवियों ने मिलीजुली प्रक्रिया व्यक्त की है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 02:31 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 02:31 PM (IST)
हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर को किसी ने सराहा तो किसी ने उठाए सवाल
हैदराबाद पुलिस के एनकाउंटर को किसी ने सराहा तो किसी ने उठाए सवाल

देहरादून, जेएनएन। हैदराबाद की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध में संलिप्त चारों आरोपितों के एनकाउंटर पर बुद्धिजीवियों ने मिलीजुली प्रक्रिया व्यक्त की है। किसी ने पुलिस के एनकाउंटर को सराहा तो किसी ने इस पर सवाल खड़े किए।  

शिक्षाविदों का मानना है कि कानून सर्वोपरि है, लेकिन जब न्याय समय पर न मिले तो जनभावना आहत होती है। यही वजह है कि इस मामले में देश की जनता हैदराबाद पुलिस के साथ खड़ी है। यह न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती है। इसका तत्काल समाधान तलाशना होगा। देश में ऐसी नौबत आनी ही नहीं चाहिए थी। निर्भया मामले में सात साल तक परिजनों को न्याय नहीं मिला, इसीलिए आज हैदराबाद प्रकरण के आरोपितों के एनकाउंटर की चौतरफा प्रशंसा हो रही है। प्रबुद्धजनों ने इस एनकाउंटर पर कुछ इस प्रकार अपने विचार रखे।  मुख्‍यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि अपराधियों में वर्दी का खौफ होना चाहिए। अपराधी जब चोरी फिर सीनाजोरी करे तो वर्दी वाले को उसका जवाब देना आवश्यक हो जाता है। हैदराबाद प्रकरण के आरोपित पुलिस का असलहा छीन रहे थे। विवश होकर पुलिस को यह कदम उठाना पड़ा। जस्टिस राजेश टंडन (अध्यक्ष, उत्तराखंड विधि आयोग) का कहना है कि सभी नागरिकों को समान सुरक्षा देना पुलिस का कर्तव्य है। हैदराबाद में पुलिस एनकाउंटर पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। विजया बड़थ्वाल (अध्यक्ष, महिला आयोग, उत्तराखंड) का कहना है कि हैदराबाद की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध के एवज में हैदराबाद पुलिस ने चारों आरोपितों के साथ जो किया, वह प्रशंसनीय है। इससे उन लोगों को भी सबक मिलेगा जो इस प्रकार के जघन्य अपराध को बेखौफ होकर अंजाम देने का दुस्साहस करते हैं। ऊषा नेगी ( अध्यक्ष, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, उत्तराखंड) का कहना है कि हैदराबाद प्रकरण के आरोपितों को पुलिस ने एनकांउटर में मार गिराया। इसके लिए वहां की पुलिस बधाई की पात्र है। जो हुआ वह अच्छा हुआ। ऐसे अपराधिक लोगों में कानून का खौफ होना चाहिए। आज हमारी एक बेटी को न्याय मिल गया है। उम्मीद है निर्भया कांड के आरोपितों को भी जल्दी फांसी होगी। निर्भया को न्याय मिलने की राह काफी लंबी हो गई है। पद्मश्री अवधेश कौशल (रूलक संस्था के संस्थापक) का कहना है कि हैदराबाद एनकाउंटर ने देहरादून में हुए रणवीर एनकाउंटर की याद ताजा कर दी। देश की पुलिस गलत रास्ते पर चल रही है। देश में न्यायपालिका सर्वोपरि है। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना पुलिस का नहीं न्यायपालिका का काम है। यह तो मानो देश में पुलिस राज आ गया हो। हैदराबाद एनकाउंटर के खिलाफ यदि सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। डॉ.यूएस रावत (पूर्व कुलपति, श्रीदेव सुमन विवि, उत्तराखंड) का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद पुलिस ने आरोपितों का एनकाउंटर करना स्वीकारा है। इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। दिल्ली के निर्भया केस के आरोपितों को सात साल बाद भी सजा नहीं मिली है। इससे अपराधियों के हौंसले बुलंद होते हैं। हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर की जांच के लिए तैयार है। डॉ. ओपी कुलश्रेष्ठ (पूर्व प्राचार्य डीबीएस पीजी कॉलेज) का कहना है कि इस प्रकार के जघन्य अपराध समाज के लिए अभिशाप हैं। देश में कानून व्यवस्था सर्वोपरि है, लेकिन जब समय पर न्याय नहीं मिलता है तो इससे जनता व विशेषकर पीड़ि‍त परिवार कुंठा का शिकार होता है। हैदराबाद की बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध के बाद पुलिस पर चौतरफा दबाव था। अगर आरोपितों ने भागने को कोशिश की थी तो उनका एनकाउंटर गलत नहीं ठहराया जा सकता है।

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जेएस बिष्ट (सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक विधि) का कहना है कि अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए। हैदराबाद कांड के आरोपितों के एनकाउंटर की हर स्तर पर जांच होगी। क्योंकि अपराधी उस समय उनकी अभिरक्षा में थे। लेकिन उन सभी ने अपराध करने के बाद फिर से कानून हाथ में लेने का दुष्कृत्य किया, जिसका जवाब पुलिस ने दिया। भावना पांडे, अध्यक्ष (लायनेस क्लब दून इलीट) का कहना है कि यदि दुष्कर्म करने वालों को कानून के जरिए मृत्यु दंड मिलता तो ज्यादा बेहतर होता। फिर भी मुझे इस बात की बहुत खुशी है ति न्यायपालिका और सरकार से न सही पर पुलिस की सही कार्रवाई से हैदराबाद की बेटी को न्याय मिला।

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