सोमवती अमावस्या आज, स्‍नान व व्रत का है विशेष महत्‍व; जानिए पूजा विधि

सुहागिनों के लिए बेहद फलदायी चैत्र अमावस्या या सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। अमावस तिथि 11 अप्रैल को सुबह 630 बजे शुरु हो चुकी है जो 12 अप्रैल को 830 बजे सुबह तक रहेगी। सनातन धर्म में हर महीने आने वाली पूर्णिमा अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 05:43 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:28 AM (IST)
सोमवती अमावस्या आज, स्‍नान व व्रत का है विशेष महत्‍व; जानिए पूजा विधि
अमावस तिथि 11 अप्रैल को सुबह 6:30 बजे शुरु हो चुकी है जो 12 अप्रैल को 8:30 बजे तक रहेगी।

जागरण संवाददाता, देहरादून: सुहागिनों के लिए बेहद फलदायी चैत्र अमावस्या या सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। अमावस तिथि 11 अप्रैल को सुबह 6:30 बजे शुरु हो चुकी है जो 12 अप्रैल को 8:30 बजे सुबह तक रहेगी। सनातन धर्म में हर महीने आने वाली पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने अमावस्या तिथि आती है। एक साल में 12 अमावस्या होती हैं। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य सुशांत राज के मुताबिक इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को है। इसी दिन हरिद्वार कुंभ का दूसरा शाही स्नान भी है। मान्यता है कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास रखता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो सकती हैं। इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन गंगा जल से स्नान करने के साथ ही दान करने से भी पुण्य मिलता है और घर में  सुख-शांति आती है। सोमवती अमावस्या पर विधिवत स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ ही इस दिन सूर्यदेव को अर्घ देने और पीपल के वृक्ष की भी पूजा का विधान है।

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 इस तरह करें पूजा 

इस दिन सुहागिन महिलाएं पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चंदन इत्यादि से पूजा करें और चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करें। संतान एवं पति की लंबी आयु की कामना करें। कुछ अन्य परंपराओं में धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधानपूर्वक तुलसी के पेड़ को चढ़ाया जाता है।

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