मुख्यमंत्री ने दिए समाज कल्याण के जेडी नौटियाल के निलंबन के आदेश

समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के छात्रवृत्ति घपले में आरोपित समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल को तत्काल निलंबित करने के आदेश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 May 2020 09:47 PM (IST) Updated:Thu, 21 May 2020 09:47 PM (IST)
मुख्यमंत्री ने दिए समाज कल्याण के जेडी नौटियाल के निलंबन के आदेश
मुख्यमंत्री ने दिए समाज कल्याण के जेडी नौटियाल के निलंबन के आदेश

राज्य ब्यूरो, देहरादून:

समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के छात्रवृत्ति घपले में आरोपित समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल को तत्काल निलंबित करने के आदेश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए हैं। पूर्व में निलंबित चल रहे नौटियाल को शासन ने तीन दिन पहले बहाल करने के साथ ही समाज कल्याण निदेशालय में तैनाती के आदेश जारी कर दिए थे। गुरुवार को यह बात सामने आई कि अफसरों ने इस बारे में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य तक से अनुमोदन लेने की जरूरत नहीं समझी। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा। उन्होंने इस पर सख्त नाराजगी जताते हुए अफसरों को फटकार लगाई।

बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण के संयुक्त निदेशक नौटियाल को पिछले साल 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। इसके 19 दिन बाद शासन ने नौटियाल को निलंबित किया। जमानत पर चल रहे नौटियाल को 18 मई को शासन ने बहाल कर दिया था। 19 मई को इसकी जानकारी सार्वजनिक हुई। सूत्रों के अनुसार आला अधिकारियों ने यह फैसला लेने से पहले विभागीय मंत्री यशपाल आर्य से अनुमोदन तक नहीं लिया। सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को कैबिनेट मंत्री आर्य ने अफसरों के इस रवैये पर सख्त नाराजगी जताते हुए उन्हें फटकार लगाई।

इस बीच मामला मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तक भी पहुंचा। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अपर सचिव समाज कल्याण समेत अन्य अधिकारियों को तलब कर सख्त नाराजगी जताई। साथ ही विभागीय सचिव को आदेश दिए कि नौटियाल को तत्काल फिर से निलंबित किया जाए। इसे देखते हुए शासन में कसरत शुरू हो गई और इस मामले में न्याय विभाग से राय ली जा रही है। उधर, समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य के अनुसार शासन द्वारा नौटियाल को निलंबित करने के आदेश शुक्रवार को जारी किए जाएंगे।

यह था मामला

दशमोत्तर छात्रवृत्ति के वितरण में घपला तब उजागर हुआ, जब कैग ने इस पर सवाल उठाए। 2012 से 2016 के दरम्यान छात्रवृत्ति का वितरण मनमाने ढंग से किया गया। ऐसे संस्थानों को छात्रवृत्ति वितरण को दे दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। न सिर्फ राज्य बल्कि राज्य से बाहर के संस्थानों पर भी कृपादृष्टि बरसाई गई। मामला तूल पकड़ा तो शासन ने इसकी जाच एसआइटी को सौंप दी, जो अभी चल रही है। इस मामले में अब तक राज्यभर में 115 मुकदमे दर्ज हुए हैं और आधा दर्जन समाज कल्याण अधिकारियों समेत 79 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

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