सामाजिक संगठनों ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने का लिया संकल्‍प

विश्व पृथ्वी दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान मे वर्चुअल संवाद आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्‍न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्‍प लिया। कहा कि पानी की बर्बादी हमारे भूमंडल के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 04:50 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 04:50 PM (IST)
सामाजिक संगठनों ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने का लिया संकल्‍प
विश्व पृथ्वी दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान मे वर्चुअल संवाद आयोजित किया गया।

जागरण संवाददाता, देहरादून: विश्व पृथ्वी दिवस पर संयुक्त नागरिक संगठन के तत्वावधान मे वर्चुअल संवाद आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्‍न  सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्‍प लिया। वक्‍ताओं ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र के रेणी गांव और इससे पहले केदारनाथ त्रासदी हमें सीख देती है कि हम पृथ्वी के इस भाग की रक्षा जल, जंगल और जमीन को बचाकर ही कर सकते हैं।

इसमे जल संरक्षण की बेहद अहम भूमिका है। पानी की बर्बादी हमारे भूमंडल के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार है। पॉलिथिन उत्पादों का प्रयोग नहीं करने की हमें शपथ लेनी होगी, धरती के लिए यही हमारा कर्तव्य होगा। संगठन के सचिव सुशील त्‍यागी ने कहा कि वाहनों की संख्या मे असीमित वृद्धि से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है और वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का प्रमुख कारण है। हमें आसपास जाने के लिए साइकिल का प्रयोग करना चाहिए। मानव कृत्रिम जीवन जीने का आदी होकर प्रकृति से दूर हो चुका है। वक्ताओं का यह भी कहना था कि जीवन मानव प्रजाति तक सीमित नहीं है इसमे पशु-पक्षियों, जानवर,समुद्री जीव सभी शामिल हैं जिसे हम सबको बचाना है। आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि वर्षा के पानी को इकट्ठा करने के लिए हमें ग्राउंड वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक अपनानी होगी और पौधरोपण जिसमे फलदार पौधे भीशामिल हो करना होगा।

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कहा कि हम सबको वैश्विक उत्तरदायित्व, पारस्परिक सहयोग और एकजुटता की भावना से मातृभूमि को बचाने के लिए प्रयास करने होंगे। कचरे के ठीक प्रबंधन के लिए गीले और सूखे कचरे को अलग अलग करना चाहिए। महिला वर्ग के अनुसार उत्तराखंड के चिपको आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन तथा खेती की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए नव धानया आन्दोलन मे महिलाओं की भूमिका सर्वविदित है। आज भी महिलां पृथ्वी के संरक्षण मे अपनी भूमिका का निर्वाहन कर रही है। हमें आसपास की जगह को वन्यजीवों को संरक्षित भी रखना होगा। 

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