कोरोना से जंग में सोशल मीडिया ने खड़ी की मुश्किलें, छह माह में सामने आए इतने मामले
कोरोनाकाल में अफवाहों के वायरस ने भी आम नागरिकों से लेकर पुलिस तक को खूब परेशान किया। जानकार हैरानी होगी कि बीते छह महीने के दौरान इस तरह के 212 मामले सामने आए जिसमें मुकदमा भी दर्ज किया गया।
देहरादून, जेएनएन। कोरोनाकाल में संक्रमण के मामले भले ही बढ़ रहे हों, मगर अनलॉक की प्रक्रिया में अब जिंदगी धीरे-धीरे गति पकड़ने लगी है। मगर इन सब के बीच अफवाहों के वायरस ने भी आम नागरिकों से लेकर पुलिस तक को खूब परेशान किया। जानकार हैरानी होगी कि बीते छह महीने के दौरान इस तरह के 212 मामले सामने आए, जिसमें मुकदमा भी दर्ज किया गया।
इन हालात को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने चेतावनी जारी की है कि कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाह या गलत डाटा शेयर करने पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की आइटी टीम सोशल मीडिया, जैसे फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम पर लगातार नजर रखे हुए है। सोशल मीडिया के माध्यम से सांप्रदायिक सोहार्द बिगाड़ने वालों की जानकारी संबंधित थाने पर या डायल 112 पर दे सकते हैं। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने कहा कि कोरोना से जुड़ी गलत खबर सोशल मीडिया पर न डाले, जो ऐसी अफवाह और गलत डाटा सोशल मीडिया में डालेंगे, उन पर आइपीसी की कुल आठ धाराओं के तहत कार्रवाई होगी। इसमें फेसबुक, वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई का प्रविधान है।
ग्रुप एडमिन भी पोस्ट के लिए होंगे जिम्मेदार
सोशल मीडिया पर अब बिना देखे और सोचे समझे लाइक और शेयर किया, तो भारी पड़ सकता है। उत्तराखंड पुलिस ने एक बार फिर आगाह किया गया है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट या धार्मिक, जातीय अथवा समाज में विद्वेष फैलाने वाले पोस्ट डालने वालों पर कार्रवाई तुरंत होगी। ग्रुप एडमिन भी इस प्रकार के किसी भी पोस्ट के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और उनके विरुद्ध भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब तक लाइक और शेयर करने वालों पर कार्रवाई नहीं होती थी, लेकिन पुलिस ने सख्त हिदायत दी है कि अब लाइक और शेयर करने वालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। ऐसे में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सावधानी से करना होगा।
सोशल मीडिया पर अफवाह के मामले
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