...तो मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव में नहीं है कोई बाधा

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला देकर विपक्ष भले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विधानसभा का सदस्य बनने के मद्देनजर होने वाले उपचुनाव को लेकर संवैधानिक संकट का मुद्दा उछाल रहा हो मगर उनके उपचुनाव में कहीं कोई बाधा नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 01:05 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 01:05 PM (IST)
...तो मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव में नहीं है कोई बाधा
उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला देकर विपक्ष भले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विधानसभा का सदस्य बनने के मद्देनजर होने वाले उपचुनाव को लेकर संवैधानिक संकट का मुद्दा उछाल रहा हो, मगर उनके उपचुनाव में कहीं कोई बाधा नहीं है। मुख्यमंत्री तीरथ को 10 सितंबर से पहले विधानसभा की सदस्यता लेनी है। इस मामले में गेंद केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पाले में है। उसे ही यह तय करना है कि उपचुनाव कब होगा।

प्रदेश की भाजपा सरकार में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संवैधानिक बाध्यता के अनुसार उन्हें पद पर बने रहने के लिए शपथ लेने की तिथि से छह माह के भीतर विधानसभा की सदस्यता अनिवार्य रूप से हासिल करनी है। इस बीच राज्य में विधानसभा की गंगोत्री व हल्द्वानी सीटें वहां से प्रतिनिधित्व कर रहे विधायकों के निधन के कारण रिक्त हुई हैं। रिक्त होने से पहले गंगोत्री सीट भाजपा के पास थी।

अब जबकि विधानसभा चुनाव के लिए करीब आठ माह का वक्त शेष रह गया है तो कांग्रेस ने उपचुनाव को लेकर संवैधानिक संकट के मुद्दे को हवा दी है। इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 151 का हवाला दिया जा रहा है। इसमें प्रविधान है कि विधानसभा की यदि कोई सीट रिक्त होती है तो इसकी सूचना प्राप्त होने के छह माह के भीतर उपचुनाव करना होगा।

भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी के सलाहकार रहे प्रकाश सुमन ध्यानी के मुताबिक धारा-151 में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि रिक्त होने वाली सीट के सदस्य का कार्यकाल एक वर्ष से कम हो तो आयोग चुनाव नहीं करा सकता। यदि आयोग चाहे तो उसे उपचुनाव कराने से नहीं रोका जा सकता। इस बारे में वह केंद्र सरकार से विमर्श कर सकता है।

चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी के मद्देनजर आपात अधिकारों का प्रयोग करते हुए पिछले दिनों तीन लोकसभा और विभिन्न राज्यों की आठ विधानसभा सीटों के उपचुनाव निरस्त किए थे। इसमें उत्तराखंड का नाम शामिल नहीं था। ध्यानी ने कहा कि अब उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद कम हो गए हैं। ऐेसे में आयोग वर्चुअल प्रचार माध्यम की बाध्यता के साथ उपचुनाव करा सकता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष बेवजह भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग गंगोत्री सीट के उपचुनाव को लेकर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं, उन्हें संविधान का अध्ययन भी करना चाहिए।

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