उत्तराखंड में छोटे पैदल पुलों के निर्माण को नियम बदलने की तैयारी, तैयार हो रहा नया प्रस्ताव

प्रदेश में छोटे पुल यानी 30 मीटर से कम लंबाई के पैदल पुल के निर्माण को अब नियमों में ढील देने की तैयारी चल रही है।

By Edited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 08:14 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 03:14 PM (IST)
उत्तराखंड में छोटे पैदल पुलों के निर्माण को नियम बदलने की तैयारी, तैयार हो रहा नया प्रस्ताव
उत्तराखंड में छोटे पैदल पुलों के निर्माण को नियम बदलने की तैयारी, तैयार हो रहा नया प्रस्ताव

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में छोटे पुल, यानी 30 मीटर से कम लंबाई के पैदल पुल के निर्माण को अब नियमों में ढील देने की तैयारी चल रही है। पुल बनाने की प्रारंभिक प्रक्रिया को अनुमति देने के लिए चिह्नित संस्थानों द्वारा समय पर रिपोर्ट न देने के कारण आ रही दिक्कतों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग इसके लिए नया प्रस्ताव तैयार कर रहा है। 

प्रदेश के पर्वतीय जिलों में छोटे पुल ही आवागमन का प्रमुख साधन हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि चुनिंदा स्थानों को छोड़ शेष पर बड़े पुलों की जरूरत नहीं है। विशेषकर पैदल पुल यहां गांवों को मुख्य मार्गों से जोड़ते हैं। अभी तक इन पुलों को बनाने के जो नियम हैं, उनके अनुसार पुल बनाने से पहले इसका सर्वे होना जरूरी है। सर्वे में पुल बनाने के लिए चिह्नित स्थान के अनुसार डिजाइन सुझाया जाता है। डिजाइन को अनुमति मिलने के बाद पुल का निर्माण शुरू किया जाता है। इसके लिए पंतनगर और घुड़दौड़ी, इंजीनियरिंग कॉलेज, पौड़ी को जिम्मा सौंपा गया है।
पंतनगर इंजीनियरिंग कॉलेज कुमाऊं और घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज गढ़वाल मंडल के पुलों के संबंध में अपनी स्वीकृति देते हैं। हाल ही में सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने निर्माण के लिए स्वीकृत पुलों के संबंध में जानकारी एकत्र की। पता चला कि कई जगह पुलों का निर्माण आवश्यक स्वीकृति न मिलने के कारण शुरू नहीं हो पाया है। संबंधित संस्थानों द्वारा सर्वे करने में समय लग रहा है। इससे पुलों के समय से बनने में दिक्कत आ रही है। इस कारण लोक निर्माण विभाग अब अन्य विकल्प तलाश रहा है। 
सचिव लोनिवि आरके सुधांशु का कहना है कि इसके लिए दो-तीन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पहला यह कि प्रारंभिक प्रक्रिया की अनुमति के लिए अलग एजेंसी को लिया जाए। दूसरा यह कि ऐसे पुलों के कुछ डिजाइन तैयार किए जाएं। क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के अनुसार इनमें से किसी एक डिजाइन के अनुसार इनका निर्माण किया जाए। तीसरा यह कि विभाग के डिजाइन सेल को और मजबूत किया जाए। इसके जरिये ही पुलों का डिजाइन तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में निर्णय ले लिया जाएगा।
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