ऋषिकेश में नमामि गंगे परियोजना का काम बना जी का जंजाल

नमामि गंगे परियोजना के तहत विस्थापित क्षेत्र में निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार स्थानीय नागरिकों पर भारी पड़ रही है। दो वर्षों से विस्थापित क्षेत्र की सड़कें जगह-जगह खोदकर छोड़ दी गई हैं जिससे यहां दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। क्षेत्रवासियों में कार्यदाई संस्था के खिलाफ रोष व्याप्त है।

By Edited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 06:35 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 11:01 AM (IST)
ऋषिकेश में नमामि गंगे परियोजना का काम बना जी का जंजाल
विस्थापित क्षेत्र पशुलोक में इस तरह खोद कर छोड़ी गयी हैं सड़कें, जो दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। नमामि गंगे परियोजना के तहत विस्थापित क्षेत्र में निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार स्थानीय नागरिकों पर भारी पड़ रही है। विगत दो वर्षों से विस्थापित क्षेत्र की सड़कें जगह-जगह खोदकर छोड़ दी गई हैं, जिससे यहां दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। क्षेत्रवासियों में कार्यदाई संस्था के खिलाफ रोष व्याप्त है। नमामि गंगे परियोजना के तहत लक्कड़ घाट स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट को आधुनिक बनाया गया है। इसके अलावा ऋषिकेश से लक्कड़ घाट तक सीवर की राइजिंग लाइन बिछाई गई है। विगत दो वर्षों से पुनर्वास क्षेत्र पशुलोक के ब्लॉक ए व बी में भी परियोजना का कार्य चल रहा है। मगर, काम की रफ्तार इतनी धीमी है कि दो वर्षों से स्थानीय नागरिकों को परेशानी ही उठानी पड़ रही है।

विभाग ने यहां जगह-जगह सड़कों को खोदकर राइजिंग लाइन तो बिछा दी, मगर जिस काम ने छह महीने में पूरा होना था, उसे दो वर्ष बाद भी पूरा नहीं किया गया। नतीजा यह है कि विस्थापित क्षेत्र में जगह-जगह सड़कों पर बने गड्ढे दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। विस्थापित क्षेत्र ब्लॉक ए में सड़क पर बना एक गड्ढा अब तक कई नागरिकों को चोटिल कर चुका है, कई मवेशी भी इस गड्ढे में गिरकर कर चोटिल हो गए हैं। विस्थापित समन्वय विकास समिति के अध्यक्ष हरि सिंह भंडारी ने बताया कि कार्यदाई संस्था की लेटलतीफी के कारण यहां आए दिन दुर्घटना हो रही है। सड़कें खुदी होने के कारण नागरिकों को आवाजाही में परेशानी हो रही है। वहीं समय पर काम पूरा ना होने से आसपास क्षेत्र के व्यापारियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कार्यदाई संस्था से निर्माण कार्य जल्द पूरा करने तथा सड़कों को आवाजाही के लिए दुरुस्त करने की मांग की है।

-एके चतुर्वेदी (परियोजना प्रबंधक, नमामि गंगे, उत्तराखंड पेयजल निगम) ने कहा कि विस्थापित क्षेत्र में निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार के लिए कांट्रेक्टर जिम्मेदार है। धीमें निर्माण के लिए कांट्रेक्टर पर 3.26 लाख प्रतिदिन की पेनल्टी भी लगाई गई है। कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द इस काम को पूरा किया जाए, ताकि सड़कों को लोक निर्माण विभाग समय पर बना सके। दूसरी समस्या वहां पानी की गूल के कारण भी पेश आ रही है। गूल में अधिक पानी होने के कारण काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।

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