चमोली के अपर सुमना क्षेत्र में छह एवलॉन्च शूट, सतर्कता जरूरी

उत्‍तराखंड के चमोली जिले के अपर सुमना क्षेत्र की पहाड़ि‍यों पर छह एवलॉन्च शूट और पाए गए हैं। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन से एवलॉन्च शूट होने की जानकारी दी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 29 Apr 2021 08:15 AM (IST) Updated:Thu, 29 Apr 2021 08:15 AM (IST)
चमोली के अपर सुमना क्षेत्र में छह एवलॉन्च शूट, सतर्कता जरूरी
सेटेलाइट चित्र में नजर आ रहे एवलॉन्स शूट।

सुमन सेमवाल, देहरादून। बीते शुक्रवार 23 मार्च को चमोली जिले की मलारी घाटी (धौली गंगा कैचमेंट) स्थिति सुमना क्षेत्र में भारी हिमस्खल हुआ था। इससे बीआरओ के शिविर क्षतिग्रस्त हो गए और इस हादसे में अब तक बर्फ में दबे 16 व्यक्तियों के शव निकाले जा चुके हैं। यह हिमस्खलन (एवलॉन्च) अपर सुमना क्षेत्र के रिमखिम नाले से हुआ और गंभीर बात यह है कि अपर सुमना क्षेत्र की पहाड़ि‍यों पर छह एवलॉन्च शूट और पाए गए हैं। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन से एवलॉन्च शूट होने की जानकारी दी।

यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट के मुताबिक मलारी घाटी एवलॉन्च के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां हर साल एवलॉन्च की घटनाएं होती हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि पहाडिय़ों में तीव्र ढाल नहीं है। वैसे 35 से 45 डिग्री के ढाल वाली पहाड़ि‍यों में सर्वाधिक बर्फ जमा होती है और अधिक भार होने पर वह नीचे खिसक जाती है। इस क्षेत्र की पहाड़ि‍यों के ढाल 40 से 45 डिग्री का है और यह स्थिति भी बर्फ को एकत्रित करने के लिए मदद करती है। जब एक स्थल पर जमा बर्फ पर नई बर्फ का बोझ बढ़ जाता है तो बड़ी आसानी से यह एवलॉन्च की शक्ल में नीचे खिसक जाती है। उच्च हिमालय का यह क्षेत्र इसलिए भी संवेदनशील है, क्योंकि यहां बीआरओ के साथ आइटीबीपी व सेना के कैंप भी हैं। लिहाजा, कहीं पर भी कैंप स्थापित करने से पहले क्षेत्र का भूविज्ञानियों के माध्यम से भौगोलिक सर्वे जरूरी है। ताकि एवलॉन्च शूट वाले स्थलों के पास कैंप स्थापित न किए जा सकें।

धौली गंगा कैचमेंट क्षेत्र में सर्वाधिक हिमाच्छादित क्षेत्र

यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि धौली गंगा कैचमेंट क्षेत्र में सर्वाधिक हिमाच्छादित क्षेत्र हैं। इसके चलते भी अधिकांश स्थलों पर बर्फ जमा होती है और एवलॉन्च की घटनाएं भी सर्वाधिक होती हैं। इस पूरे क्षेत्र में नंदा देवी, देवस्थान, नंदा घुंघटी, नंदा खाट, त्रिशूल, चंगमंग, द्रोणागिरी, कॉमेट, कलंका, विथार टोली आदि चोटियां धौली गंगा क्षेत्र में बर्फ का भरपूर भंडार उपलब्ध कराती हैं।  

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